रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
राष्ट्रपति ने जस्टिस सूर्यकांत को दिलाई भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ
प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री सहित अनेक गणमान्य हस्तियों की उपस्थिति में हुआ भव्य समारोह
नई दिल्ली, 24 नवम्बर। राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में सोमवार सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सी. जे. आई.) पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विधि मंत्री सहित शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारी मौजूद रहे।
इसके साथ ही देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का कार्यभार अब जस्टिस सूर्यकांत ने संभाल लिया है, जिनका कार्यकाल फरवरी 2027 तक रहेगा।
समारोह की प्रमुख झलकियाँ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रगान के बाद शपथ दिलाई
प्रधानमंत्री, कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और अनेक राज्यों के राज्यपाल मौजूद
सुप्रीम कोर्ट के सभी वर्तमान न्यायाधीश समारोह में उपस्थित
समारोह के तुरंत बाद जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायालय में कार्यभार ग्रहण किया
जस्टिस सूर्यकांत — व्यक्तित्व, यात्रा और न्यायिक दृष्टिकोण का विस्तृत परिचय
गांव से सर्वोच्च न्यायालय तक की प्रेरक यात्रा
जन्म : 10 फरवरी 1962, हरियाणा के हिसार जिले के एक साधारण ग्रामीण परिवार में
पिता संस्कृत शिक्षक, माँ गृहिणी
प्राथमिक शिक्षा गाँव के सरकारी विद्यालय में; बेहद साधारण संसाधन
उच्च शिक्षा हिसार और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से
1984 में हिसार अदालत से वकालत की शुरुआत
बाद में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में संवैधानिक और सेवा मामलों के वकील के रूप में पहचान
वर्ष 2000 में हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता नियुक्त
2004 में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
2018 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश
24 नवम्बर 2025 : भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बने
न्यायिक शैली — सामाजिक संवेदनशीलता और न्याय की मानवीय व्याख्या
जस्टिस सूर्यकांत अपने फैसलों में तकनीकी कानूनी प्रावधान और सामाजिक परिस्थितियों, दोनों को संतुलित दृष्टि से देखते रहे हैं।
उन्होंने ऐसे अनेक ऐतिहासिक निर्णय दिए, जिनमें–
महत्वपूर्ण दृष्टिकोण
जेल बंदियों के conjugal rights और कृत्रिम गर्भाधान पर जन-हितकारी फैसले
भूमि अधिग्रहण मामलों में किसानों के हितों की रक्षा
गरीब और वंचित वर्गों को न्याय उपलब्ध कराने पर विशेष जोर
न्याय व्यवस्था में सरलता, अधिकारों की पहुँच और पारदर्शिता के स्पष्ट समर्थक
न्यायाधीशों की उपलब्धता, निचली अदालतों में संसाधनों की कमी और मुकदमों के बोझ को घटाने को शीर्ष प्राथमिकता
मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्राथमिकताएँ
1. मुकदमे की लंबित संख्या घटाना
देश में करोड़ों मुकदमे लंबित हैं। वे उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों में न्यायिक ढांचे को मजबूत करने पर फोकस चाहते हैं।
2. न्याय को आम व्यक्ति तक लाना
न्याय की लागत, प्रक्रिया और समय को सरल बनाना उनकी घोषित प्राथमिकता है।
3. न्यायिक सुधार – तकनीकीकरण व व्यवस्थागत बदलाव
ई-कोर्ट, पारदर्शी सम्प्रेषण, न्यायालयों में मानव संसाधन बढ़ाने और अधीनस्थ अदालतों में ढांचागत सुधार उनके कार्यकाल की प्रमुख दिशा मानी जा रही है।
4. गरीब और कमजोर वर्गों की सुनवाई सुनिश्चित करना
वे कानूनी सेवा प्राधिकरण में वर्षों तक सक्रिय रहे हैं और न्याय के लोकतांत्रिक स्वरूप को व्यापक बनाने पर बल देते हैं।
नए सी.जे.आई. का महत्व — संवैधानिक एवं सामाजिक दृष्टि से
जस्टिस सूर्यकांत का सर्वोच्च पद पर पहुँचना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
उनकी ग्रामीण पृष्ठभूमि, संघर्ष, विद्वता और संवैधानिक दृष्टि न्यायपालिका को जनता के और करीब लाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
निष्कर्ष
जस्टिस सूर्यकांत का शपथ ग्रहण केवल एक संवैधानिक परंपरा का निर्वाह नहीं, बल्कि भारतीय न्यायपालिका के भविष्य के लिए दिशा-निर्धारण का क्षण है।
उनकी सोच, संवेदनशीलता, अनुभव और न्याय-संरचना पर स्पष्ट दृष्टिकोण से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले लगभग डेढ़ वर्ष में भारतीय न्याय व्यवस्था में ठोस, प्रभावी और जन-हितकारी सुधार देखने को मिलेंगे।
