बांदा: मासूम से दरिंदगी और हत्या के मामले में 58 दिन में इंसाफ,फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी को सुनाई फांसी की सजा, जज ने निब तोड़कर दिया ऐतिहासिक फैसला

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़ 

बांदा: मासूम से दरिंदगी और हत्या के मामले में 58 दिन में इंसाफ

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी को सुनाई फांसी की सजा, जज ने निब तोड़कर दिया ऐतिहासिक फैसला

घटना का दिन – 3 जून 2025

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के एक गांव में 3 वर्षीय बच्ची को आरोपी सुनील निषाद ने टॉफी का लालच देकर अगवा कर लिया। आरोपी बच्ची को सुनसान जगह ले गया, जहां उसके साथ बलात्कार किया। इसके बाद मासूम को अचेत अवस्था में मछली रखने वाले आइस बॉक्स में बंद कर जंगल में फेंक दिया।

अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष

4 जून: बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया, जहां से उसे कानपुर रेफर किया गया।

4–10 जून: मासूम 7 दिन तक वेंटिलेटर पर जिंदगी से जूझती रही।

10 जून: इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई।

आरोपी की गिरफ्तारी और चार्जशीट

11 जून: ग्रामीणों को आरोपी के कपड़ों पर खून के धब्बे दिखे। पुलिस ने उसे तलाशकर मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया।

15 जून: पुलिस ने मात्र 15 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दी।

 

बुलडोजर कार्रवाई – 3 सितंबर 2025

प्रशासन ने आरोपी का घर गिरा दिया। जांच में पाया गया कि मकान ग्राम सभा की जमीन पर बना था। करीब 9 घंटे चली कार्रवाई के दौरान घर ध्वस्त किया गया और सामान कुर्क कर लिया गया।

ऐतिहासिक फैसला – 8 सितंबर 2025

फास्ट ट्रैक कोर्ट, बांदा के जज प्रदीप कुमार मिश्रा ने 58 दिन की सुनवाई के बाद आरोपी सुनील निषाद को फांसी की सजा सुनाई।
फैसला सुनाने के बाद जज ने कलम की निब तोड़ दी, जो न्याय की कठोरता और अंतिमता का प्रतीक माना गया।

परिवार और समाज की प्रतिक्रिया

परिजनों ने कहा:
“अब इंसाफ की शुरुआत हुई है। असली न्याय तब होगा जब दरिंदा फांसी पर लटकाया जाएगा।”

ग्रामीणों का मत:
ग्रामीणों ने कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे समाज में एक सख्त संदेश जाएगा कि मासूमों के साथ दरिंदगी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

त्वरित न्याय का उदाहरण

15 दिन में चार्जशीट

58 दिन में ट्रायल और फैसला

आरोपी पर बुलडोजर और कुर्की की कार्रवाई

फास्ट ट्रैक कोर्ट से फांसी की सजा

बांदा का यह मामला पूरे प्रदेश में स्पीडी जस्टिस और कठोर सजा का मिसाल बन गया है, जिससे समाज में कानून के प्रति विश्वास और अपराधियों में डर दोनों ही मजबूत हुए हैं।

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