रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़ बुलडोजर लेकर रातोंरात किसी का घर नहीं गिरा सकते हो, 25 लाख मुआवजा दीजिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को खूब लताड़ा नई दिल्ली। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से घर तोड़ने पर उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने अधिकारियों के बुलडोजर से घर तोड़ने वाले रवैये को दमनकारी बताया। उच्चतम न्यायालय ने सख्त लहजे में उत्तर प्रदेश के वकील से कहा कि आप बुलडोजर लेकर रातोंरात किसी का घर नहीं तोड़ सकते हो। पीठ ने कहा आप इस तरह से लोगों के घरों को कैसे ध्वस्त कर सकते हैं ? यह एक तरह से अराजकता है। किसी के घर में घुसकर बिना किसी सूचना के उसे ध्वस्त करना। उच्चतम न्यायालय मनोज टिबरेवाल आकाश की ओर से भेजी गई एक शिकायत के आधार पर 2020 में दर्ज एक स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रहा था। बता दें कि आकाश का जिला महाराजगंज स्थित घर 2019 में सड़क चौड़ी करने के नाम पर ध्वस्त कर दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अवैध रूप से तोड़-फोड़ की कार्रवाई करने के मामले की जांच करने और याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय की पीठ में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। बुधवार को सुनवाई के दौरान, सीजेआई ने इस बात पर चिंता जताई कि मामले में कोई नोटिस नहीं दिया गया। और न ही घर को ध्वस्त करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। पीठ ने कहा, यह पूरी तरह से अनुचित है! उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है ? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल मौके पर गए और लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को सूचित कर किसी के घर को ध्वस्त कर दिया। यह तो मनमानी है।