यीडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई समझ से परे क्या खौफ बनाने के लिए की गई कार्रवाई या कोई और कारण छुपा है इसके पीछे

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                                  जन वाणी न्यूज़                                                    यीडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई समझ से परे
क्या खौफ बनाने के लिए की गई कार्रवाई या कोई और कारण छुपा है इसके पीछे
खटा खट और फटाफट निलंबन करने वाले अधिकारी किसानों की समस्याओं पर भी गंभीरता से करें विचार।
-कर्मवीर नागर प्रमुख
2 दिन पूर्व यीडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पांच अधिकारियों को प्रमुख सचिव औद्योगिक द्वारा निलंबित किया गया था। इससे पहले भी कुछ अधिकारियों के विरुद्ध शासन के आदेश पर निलंबन की कार्रवाई की गई थी। समाचार पत्रों की खबरों में प्रकाशित जानकारी के अनुसार इन अधिकारियों के निलंबन का कारण नई तैनाती की जगह ज्वाइन न करना है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब नियम अनुसार किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के तबादले के बाद उसको सीनियर अधिकारी रिलीव करता है तभी नहीं तैनाती की जगह ज्वाइन किया जाता है, तो क्या इन अधिकारियों को रिलीव कर दिया गया था ? अगर इन्हें रिलीव ही नहीं किया गया था तो ऐसे में इन अधिकारियों के निलंबन नियमों की दायरे में नहीं आता। अगर इन अधिकारियों के विरुद्ध निलंबन का यही कारण है तो इसके पीछे कोई दुर्भावना अथवा साजिश नजर आती है। किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के विरुद्ध दुर्भावनावश (मैलाफाइड इंटेंशन से) की गई कार्रवाई से मानसिक उत्पीड़न के साथ-साथ मनोबल और कार्य क्षमता पर दुष्प्रभाव डालता है। इस तरह दुर्भावना वश की गई कोई भी कार्रवाई निश्चित तौर पर निंदनीय है। इससे पहले भी नोएडा प्राधिकरण कुछ अधिकारियों का निलंबन किया गया था जिनके निलंबन पर माननीय न्यायालय ने शायद इसीलिए रोक लगा दी है क्योंकि यह कार्रवाई दुर्भावना वश की गई थी।
फटाफट खटाखट निलंबन करने वाले उच्च अधिकारियों को नरक बन रहे औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांव कभी नजर नहीं आते। जिस भ्रष्टाचार की वजह से प्राधिकरणों की साख को देश और दुनिया में बट्टा लगा है उसे पर इन अधिकारियों की नजर कभी नहीं पड़ती। यह अधिकारी कभी उन किसानों की समस्याओं के प्रति भी गंभीर नजर नहीं आए जो भीषण गर्मी, कडकडाती ठंड और भारी बरसात में सड़कों पर बैठने के लिए मजबूर होकर वर्षों से अपने हक और न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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