
मुस्लिम नामों पर रखे नगर और शहरों के नाम बदलने की मांग पर है जोर लेकिन बढ़ती अंग्रेजियत पर नहीं किसी का ध्यान
प्रदेश के विभिन्न प्राधिकरण क्षेत्रों के सेक्टर्स और ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज के अंग्रेजी नामकरण के बढ़ते प्रचलन पर लगाया जाए प्रतिबंध
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के सेक्टर्स का स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और महापुरुषों के नाम पर किया जाए नामकरण।
-कर्मवीर नागर प्रमुख
गौतमबुद्धनगर। जहां दिल्ली में मुगल शासको एवं अंग्रेजों के नाम पर रखी हुई सड़कों के नाम बदलने की कई बार खबरें सुनने को मिलती रही हैं वहीं उत्तर प्रदेश सहित अन्य कई भाजपा शासित राज्यों में भी मुस्लिम नामों के शहरों और नगरों के नाम बदलने की उठ रही मांग की खबरें सुनने को मिलती रही हैं। हाल ही में गाजियाबाद के तुराबनगर का नाम बदलकर सीताराम बाजार कर दिया गया। मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मी नगर रखने का प्रस्ताव भी जिला योजना की मीटिंग में पारित किया गया है। गाजियाबाद का नाम बदलने की चर्चाओं ने भी कई बार जोर पकड़ा है। मुस्लिम नामों पर रखे नगरों और शहरों के नाम बदलने की जोर पकड़ती मांग का कारण भारत पर लंबे समय तक राज करने वाले मुगलों के प्रति नाराजगी और गुस्सा या फिर कोई राजनीतिक लाभ लेने की मंशा हो सकती है। लेकिन दूसरी तरफ मुगल शासकों की तरह भारत पर लंबे समय तक हुकूमत करने वाले अंग्रेजों की अंग्रेजियत के प्रति लोगों में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे क्रेज पर अभी तक कोई भी हिंदू राष्ट्र प्रेमी किसी भी तरह की टीका टिप्पणी अथवा विरोध करता नजर नहीं आया है जबकि देश में फिलहाल अंग्रेजियत और वेस्टर्न कल्चर का भूत इतना हावी है कि इसे हम स्टेटस सिंबल समझने लगे हैं। इसीलिए आजकल उस भारत देश में संचालित स्कूलों, शिक्षण संस्थाओं, नवनिर्मित ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और संस्थानों का अंग्रेजी नामों पर नामकरण करने का क्रेज बढ गया है जिस भारत देश में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष हिंदी दिवस और हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है और सरकारी महकमों में हिंदी में कार्य करने को बढ़ावा देने के लिए गठित हिंदी संसदीय समिति भी समय-समय पर विभिन्न सरकारी विभागों में हिंदी में किए गए कार्यों की समीक्षा करती रहती हैं। अगर बात करें गौतम बुद्ध नगर स्थित तीनों औद्योगिक प्राधिकरणों सहित प्रदेश के अन्य हाउसिंग विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में विकसित किये जा रहे सेक्टर्स और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज की तो इनमें अंग्रेजी नामकरण का प्रचलन आए दिन बढ़ता ही जा रहा है। आजकल शहरी क्षेत्रों में बस रहीं इन ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज के नाम ऐसे कठिन अंग्रेजी नामों पर रखे जा रहे हैं जिन्हें आम आदमी द्वारा याद रखना तो बहुत दूर की बात है इनका नाम ठीक से बोल पाना भी बहुत कठिन है। इतना ही नहीं लोगों पर अंग्रेजियत का भूत इस कद्र हावी है कि वह बच्चों को ऐसे स्कूलों में दाखिला दिलाना ज्यादा पसंद करते हैं जिन स्कूलों का नाम अंग्रेजी नाम पर रखा गया हो। लेकिन न जाने उन हिन्दी और हिंदू राष्ट्र प्रेमियों का ध्यान देश पर सैकड़ो साल राज करने वाले अंग्रेजों की बढ़ती अंग्रेजियत की तरफ क्यों नहीं गया जो आए दिन मुस्लिम नाम के शहर और नगरों के नाम बदलने की मांग करते रहे हैं। जब देश और प्रदेश की सरकारें भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बातें कर रही हैं और सभी सरकारी महकमों में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस पर प्रतिवर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तब ऐसे में प्रदेश सरकार को भी औद्योगिक और हाउसिंग प्राधिकरण क्षेत्रों में सेक्टर्स और ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज का अंग्रेजी नाम पर नामकरण प्रतिबंधित करने के लिए सख्त निर्देश जारी करने चाहिए। प्राधिकरणों द्वारा ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज, स्कूल और अस्पताल के लिए आबंटित किए जाने वाले भूखंडों की लीज शर्तों में अंग्रेजी नामकरण न करने की शर्त जोड़ने का प्रावधान करना चाहिए और सेक्टर्स के नामों का भी स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और महापुरुषों के नाम पर नामकरण किया जाना चाहिए।*मुस्लिम नामों पर रखे नगर और शहरों के नाम बदलने की मांग पर है जोर लेकिन बढ़ती अंग्रेजियत पर नहीं किसी का ध्यान*
*प्रदेश के विभिन्न प्राधिकरण क्षेत्रों के सेक्टर्स और ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज के अंग्रेजी नामकरण के बढ़ते प्रचलन पर लगाया जाए प्रतिबंध।*
*नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के सेक्टर्स का स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और महापुरुषों के नाम पर किया जाए नामकरण।*
-कर्मवीर नागर प्रमुख
गौतमबुद्धनगर। जहां दिल्ली में मुगल शासको एवं अंग्रेजों के नाम पर रखी हुई सड़कों के नाम बदलने की कई बार खबरें सुनने को मिलती रही हैं वहीं उत्तर प्रदेश सहित अन्य कई भाजपा शासित राज्यों में भी मुस्लिम नामों के शहरों और नगरों के नाम बदलने की उठ रही मांग की खबरें सुनने को मिलती रही हैं। हाल ही में गाजियाबाद के तुराबनगर का नाम बदलकर सीताराम बाजार कर दिया गया। मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मी नगर रखने का प्रस्ताव भी जिला योजना की मीटिंग में पारित किया गया है। गाजियाबाद का नाम बदलने की चर्चाओं ने भी कई बार जोर पकड़ा है। मुस्लिम नामों पर रखे नगरों और शहरों के नाम बदलने की जोर पकड़ती मांग का कारण भारत पर लंबे समय तक राज करने वाले मुगलों के प्रति नाराजगी और गुस्सा या फिर कोई राजनीतिक लाभ लेने की मंशा हो सकती है। लेकिन दूसरी तरफ मुगल शासकों की तरह भारत पर लंबे समय तक हुकूमत करने वाले अंग्रेजों की अंग्रेजियत के प्रति लोगों में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे क्रेज पर अभी तक कोई भी हिंदू राष्ट्र प्रेमी किसी भी तरह की टीका टिप्पणी अथवा विरोध करता नजर नहीं आया है जबकि देश में फिलहाल अंग्रेजियत और वेस्टर्न कल्चर का भूत इतना हावी है कि इसे हम स्टेटस सिंबल समझने लगे हैं। इसीलिए आजकल उस भारत देश में संचालित स्कूलों, शिक्षण संस्थाओं, नवनिर्मित ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और संस्थानों का अंग्रेजी नामों पर नामकरण करने का क्रेज बढ गया है जिस भारत देश में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष हिंदी दिवस और हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है और सरकारी महकमों में हिंदी में कार्य करने को बढ़ावा देने के लिए गठित हिंदी संसदीय समिति भी समय-समय पर विभिन्न सरकारी विभागों में हिंदी में किए गए कार्यों की समीक्षा करती रहती हैं।
अगर बात करें गौतम बुद्ध नगर स्थित तीनों औद्योगिक प्राधिकरणों सहित प्रदेश के अन्य हाउसिंग विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में विकसित किये जा रहे सेक्टर्स और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज की तो इनमें अंग्रेजी नामकरण का प्रचलन आए दिन बढ़ता ही जा रहा है। आजकल शहरी क्षेत्रों में बस रहीं इन ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज के नाम ऐसे कठिन अंग्रेजी नामों पर रखे जा रहे हैं जिन्हें आम आदमी द्वारा याद रखना तो बहुत दूर की बात है इनका नाम ठीक से बोल पाना भी बहुत कठिन है। इतना ही नहीं लोगों पर अंग्रेजियत का भूत इस कद्र हावी है कि वह बच्चों को ऐसे स्कूलों में दाखिला दिलाना ज्यादा पसंद करते हैं जिन स्कूलों का नाम अंग्रेजी नाम पर रखा गया हो। लेकिन न जाने उन हिन्दी और हिंदू राष्ट्र प्रेमियों का ध्यान देश पर सैकड़ो साल राज करने वाले अंग्रेजों की बढ़ती अंग्रेजियत की तरफ क्यों नहीं गया जो आए दिन मुस्लिम नाम के शहर और नगरों के नाम बदलने की मांग करते रहे हैं।
जब देश और प्रदेश की सरकारें भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बातें कर रही हैं और सभी सरकारी महकमों में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस पर प्रतिवर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तब ऐसे में प्रदेश सरकार को भी औद्योगिक और हाउसिंग प्राधिकरण क्षेत्रों में सेक्टर्स और ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज का अंग्रेजी नाम पर नामकरण प्रतिबंधित करने के लिए सख्त निर्देश जारी करने चाहिए। प्राधिकरणों द्वारा ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज, स्कूल और अस्पताल के लिए आबंटित किए जाने वाले भूखंडों की लीज शर्तों में अंग्रेजी नामकरण न करने की शर्त जोड़ने का प्रावधान करना चाहिए और सेक्टर्स के नामों का भी स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और महापुरुषों के नाम पर नामकरण किया जाना चाहिए।