हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का स्वर्णिम स्वर मौन: पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 वर्ष की आयु में निधन

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हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का स्वर्णिम स्वर मौन: पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 वर्ष की आयु में निधन

नई दिल्ली/मिर्जापुर, 02 अक्टूबर 2025 (जन वाणी न्यूज़)।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के आकाश का उज्ज्वल सितारा पद्म विभूषण से सम्मानित गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र गुरुवार तड़के सदा के लिए मौन हो गया।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर स्थित उनके आवास पर सुबह 4 बजे 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
वे लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और लगभग 17-18 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद घर लौटे थे।
उनके परिवार में एक बेटा और तीन बेटियां हैं।
देश के राजनीतिक नेतृत्व, संगीत जगत और लाखों प्रशंसकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

संगीत जगत में शोक की लहर

पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन की खबर फैलते ही भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत शोक में डूब गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“पंडित छन्नूलाल मिश्र जी भारतीय संगीत जगत के स्तंभ थे। उनके गायन ने पीढ़ियों को प्रेरित किया। मैं उनके आशीर्वाद से अनेक अवसरों पर लाभान्वित हुआ। उनका निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि पंडित मिश्र की गायकी ने भारतीय संगीत को नई ऊंचाई दी और वे सदैव याद किए जाएंगे।

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, कला व संस्कृति क्षेत्र की हस्तियों और संगीत जगत के अनेक दिग्गजों ने भी शोक प्रकट किया।

विख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने कहा:
“पंडित जी की गायकी में बनारस की आत्मा बसती थी। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के सच्चे धरोहर थे।”

संगीत यात्रा और जीवन परिचय

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ।

उनके पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र स्वयं गायक थे और पंडित जी के पहले गुरु बने।

बाद में उन्होंने उस्ताद अब्दुल ग़नी खान (किराना घराना) और ठाकुर जैदेव सिंह से शास्त्रीय संगीत की गहन शिक्षा प्राप्त की।

वे बनारस घराना के दिग्गज गायक माने जाते थे।

 

गायन की विधाएं

पंडित मिश्र की पहचान मुख्यतः ख़्याल, ठुमरी, दादरा, चैंती, कजरी, होरी और भजन गायन से थी।
उनकी गायकी में शास्त्रीय रागों की गहराई और लोकधुनों की आत्मीयता झलकती थी।
उन्होंने दशकों तक श्रोताओं को अपनी मधुर आवाज़ से मंत्रमुग्ध किया।

उनके भक्ति गीतों और विशेषकर कबीर भजनों, होली गीतों व बनारसी ठुमरियों की अनोखी शैली को देश-विदेश में सराहा गया।

सम्मान और पुरस्कार

पंडित मिश्र के जीवन में अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मान आए:

पद्म विभूषण – 2020

पद्म भूषण – 2010

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

यश भारती सम्मान (उत्तर प्रदेश)

नौशाद पुरस्कार (उत्तर प्रदेश)

सुर सिंहार संसद शिरोमणि पुरस्कार

संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप

इसके अलावा अनेक विश्वविद्यालयों व संस्थाओं से उन्हें मानद उपाधियां और सम्मान पत्र प्राप्त हुए।

लोकप्रियता और योगदान

पंडित मिश्र ने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

वे मंचों पर अपनी गायकी से ही नहीं, बल्कि नए कलाकारों को मार्गदर्शन देने के लिए भी जाने जाते थे।

उनके गायन में आध्यात्मिकता, भक्ति और लोक संस्कृति की गहरी झलक मिलती थी।

वे हमेशा कहते थे कि संगीत केवल रागों का ज्ञान नहीं, बल्कि साधना और जीवन का मार्ग है।

अंतिम संस्कार व श्रद्धांजलि

पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार वाराणसी में राज्य सम्मान के साथ किए जाने की घोषणा की गई है।

संगीत संस्थान, शिष्य, प्रशंसक और सांस्कृतिक संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए विशेष सभाओं का आयोजन किया है।

बनारस की गलियों से लेकर देश-विदेश तक के संगीत प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।

 

एक युग का अंत

पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक स्वर्णिम युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है।
उनकी स्वर साधना, बनारसी ठुमरी की मिठास और भक्ति रस से भरे गीत आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

> (रिपोर्ट: जन वाणी न्यूज़, नई दिल्ली/मिर्जापुर)

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