रविन्द्र बंसल वरिष्ठ संवाददाता / जन वाणी न्यूज़ दिल्ली। रक्षाबंधन का पर्व पूरे देश मे धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भारतीय संस्कृति के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह का प्रतीक है। यह भाई बहन को प्यार की डोर मे बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा सूत्र बांधती है। जिसे राखी कहते है। यह हिन्दू समाज का प्रमुख त्योहार है। जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन मे मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलुने भी कहते है। रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चांदी जैसी मंहगी वस्तु तक की हो सकती है। यह त्यौहार सोमवार को पारंपरिक तरीके से मनाया गया। बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लिया, वही भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट किये। लोगों ने एक दूसरे को रक्षाबंधन की बधाइयां दी। रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है। रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहने भाइयों के खुशहाल जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी बांधी जाती है।रक्षाबंधन पर जहां बहनें भाई की कलाई में राखी बांधती हैं, वहीं भाइयों द्वारा बहनों को उपहार भेंट भी किए जाते हैं।