रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
SCO समिट 2022 में मोदी–पुतिन की असाधारण मुलाक़ात पर नए सवाल
क्या हुआ था ताशकंद में? तथ्य, दावे और कूटनीतिक संकेतों की गहन पड़ताल
लखनऊ, 22 नवंबर 2025 (शनिवार) शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 16 सितंबर 2022 को ताशकंद में आयोजित शिखर सम्मेलन एक बार फिर चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उस समय हुई असामान्य मुलाक़ात, संयुक्त यात्रा और प्रोटोकॉल में हुए बदलाव को लेकर सोशल मीडिया में कई नए दावे उभर आए हैं। कुछ दावों का आधार केवल अटकलें हैं, जबकि कुछ घटनाएँ स्वयं नेताओं के कार्यक्रमों में दर्ज हुई थीं।
यह रिपोर्ट उन तथ्यों और दावों को अलग-अलग प्रस्तुत करती है, ताकि संपूर्ण घटनाक्रम का यथार्थ और सटीक चित्र पाठकों के सामने आ सके।
📌 16 सितंबर 2022: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की संयुक्त यात्रा
SCO समिट के दौरान 16 सितंबर 2022 को दोनों नेताओं का एक ही कार में सवार होकर सम्मेलन स्थल की यात्रा करना मीडिया रिपोर्टों में साफ दर्ज है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री मोदी के होटल परिसर के बाहर लगभग 10–15 मिनट रुके और उसके बाद उनकी कार ने होटल के आसपास कुछ समय चक्कर लगाए।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में ऐसी लचक कम देखने को मिलती है क्योंकि कार्यक्रम सख़्त समय-सारणी के अनुसार चलते हैं। इसलिए यह कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षण माना गया।
📌 प्रधानमंत्री का हल्का-फुल्का टिप्पणी वाला बयान — 17 सितंबर 2022
समिट के अगले दिन 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने एक कार्यक्रम में हँसते हुए कहा—
“आप ताली किसके लिए बजा रहे हैं… मेरे जाने के लिए या लौटकर आने के लिए?”
इस टिप्पणी को कई लोगों ने एक संकेत के रूप में देखा, लेकिन इसे किसी विशेष जोखिम या असाधारण घटना का प्रमाण मानना उचित नहीं।
📌 18 सितंबर 2022: ढाका में अमेरिकी अधिकारी की रहस्यमयी मौत
SCO समिट के ठीक बाद 18 सितंबर 2022 को ढाका (बांग्लादेश) के एक प्रतिष्ठित होटल में अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज़ के एक वरिष्ठ अधिकारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु की खबर सामने आई।
स्थानीय पुलिस के पहुंचने से पहले ही अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने शव को अपने नियंत्रण में ले लिया और पोस्टमार्टम तक नहीं कराया गया।
यह घटना कई सवाल खड़े करती है, लेकिन इसे SCO समिट से जोड़ने वाला कोई प्रत्यक्ष प्रमाण आज तक सामने नहीं आया है।
फैक्ट बनाम दावा: क्या वाकई कोई “ताशकंद-2” साज़िश थी?
✔ प्रमाणित तथ्य
1. 16 सितंबर 2022 — मोदी और पुतिन की संयुक्त कार यात्रा दर्ज/प्रकाशित घटना।
2. पुतिन द्वारा प्रतीक्षा करना और सुरक्षा-पद्धति में बदलाव — कई मीडिया रिपोर्टों में प्रकाशित।
3. 18 सितंबर 2022 — ढाका में अमेरिकी अधिकारी की संदिग्ध मौत दर्ज घटना।
ये सभी घटनाएँ तथ्यात्मक हैं और समाचार अभिलेखों में मौजूद हैं।
✘ अनप्रमाणित दावे
कुछ प्लेटफॉर्म और विश्लेषणों में यह दावा उभरा कि—
SCO समिट में प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश रची गई थी।
CIA या कुछ पश्चिमी शक्तियाँ इसमें शामिल थीं।
रूस की FSB और भारत की RAW ने मिलकर किसी “ताशकंद-2” जैसी योजना को विफल किया।
इन दावों का न कोई आधिकारिक बयान है, न कोई वैश्विक खुफिया रिपोर्ट, न ही कोई स्वतंत्र जांच।
इसलिए इन दावों को “तथ्य” नहीं, बल्कि “अभी तक अप्रमाणित अटकलें” माना जाता है।
वैश्विक संदर्भ और ऐतिहासिक छाया
ताशकंद का नाम भारत की राजनीतिक स्मृति में संवेदनशील है क्योंकि 11 जनवरी 1966 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की वहां अचानक मृत्यु हुई थी।
इस घटना पर आज भी कई सवाल बाकी हैं, और इसका संदर्भ अक्सर किसी भी नई घटना के साथ जोड़ा जाता है।
परंतु इतिहास की किसी अधूरी घटना को 2022 की घटनाओं से जोड़कर “साज़िश” की घोषणा कर देना जिम्मेदार पत्रकारिता नहीं होगा।
कूटनीतिक अर्थ और सुरक्षा संकेत
भारत–रूस का रणनीतिक विश्वास
दोनों देशों की दशकों पुरानी खुफिया साझेदारी, संयुक्त यात्रा और पुतिन का असाधारण व्यवहार यह संकेत अवश्य देता है कि दोनों राष्ट्र सुरक्षा-आधारित विश्वास को अत्यधिक महत्व देते हैं।
संभावित सुरक्षा-सावधानियाँ
अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों में प्रोटोकॉल अक्सर वास्तविक समय की सुरक्षा जानकारी के आधार पर बदले जाते हैं।
ऐसे निर्णय जनता के लिए सार्वजनिक नहीं किए जाते, इसलिए प्रोटोकॉल-परिवर्तन को सीधे “खतरे” का प्रमाण नहीं कहा जा सकता।
निष्कर्ष: संकेत मजबूत, पर साजिश का कोई प्रमाण नहीं
SCO समिट के दौरान मोदी–पुतिन मुलाक़ात के कई पहलू कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थे।
प्रोटोकॉल में बदलाव और संयुक्त यात्रा ने वैश्विक ध्यान खींचा।
ढाका की घटना ने अलग स्तर पर संदेह और जिज्ञासा बढ़ाई।
लेकिन यह कहना कि प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की कोशिश हुई थी, या कोई “ताशकंद-2” योजना थी—वर्तमान में इसके समर्थन में कोई प्रमाण नहीं है।
भारत की विदेश नीति आज अधिक आत्मविश्वासी, बहुध्रुवीय और सुरक्षा-सहयोग पर आधारित दिखाई देती है—और SCO 2022 की घटनाएँ इसी कूटनीतिक परिपक्वता का संकेत मानी जा सकती हैं।
