रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदर उपद्रव पर जनहित याचिका : 28 अगस्त की सुनवाई और हाल की घटनाओं का परिप्रेक्ष्य
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते बंदर उपद्रव को लेकर दाखिल जनहित याचिका (PIL संख्या 1030/2025) पर 28 अगस्त 2025 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस याचिका में प्रदेशभर में हो रहे बंदरों के हमलों और उनके कारण आमजन को होने वाली परेशानियों को प्रमुख मुद्दा बनाया गया है।
अदालत की कार्यवाही का सार
प्रतिवादी संख्या 6 और 8 ने अपना लिखित जवाब दाखिल कर दिया है।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड तथा अन्य कई प्रतिवादियों ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया और अतिरिक्त समय की मांग की।
अदालत ने समय प्रदान करते हुए कहा कि मामला अब 19 सितंबर 2025 को सूचीबद्ध किया जाएगा।
इस प्रकार 28 अगस्त की सुनवाई में कोई अंतिम निर्देश जारी नहीं किया गया, बल्कि अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल करने का अवसर दिया गया।
सोशल मीडिया पर भ्रम
सुनवाई के बाद कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह दावा किया गया कि “हाईकोर्ट ने बंदर उपद्रव पर कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दे दिया है”।
वास्तविक स्थिति यह है कि अदालत ने केवल जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाया है। कार्ययोजना प्रस्तुत करने को लेकर अभी कोई अंतिम आदेश पारित नहीं हुआ है।
हाल की घटनाएँ – समस्या की गंभीरता
प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों से आए ताज़ा मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बंदर उपद्रव एक वास्तविक और गंभीर चुनौती बन चुका है :
औरैया (28 अगस्त 2025): एक बंदर ने स्कूल शिक्षक का ₹80,000 से भरा बैग छीन लिया और पेड़ पर चढ़कर नोट हवा में उड़ा दिए। इस घटना को स्थानीय लोगों ने ‘मनी रेन’ नाम दिया।
अलीगढ़: बंदरों ने एक महिला के बैग से करीब ₹20 लाख के जेवरात छीन लिए, जिससे लोग हतप्रभ रह गए।
प्रयागराज (मई 2025): नगर निगम ने बंदर उपद्रव से निपटने के लिए विशेष पकड़ने वाली टीम तैनात की, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
गाज़ियाबाद: अदालत ने इस जिले में कार्ययोजना न मिलने पर अधिकारियों से जवाब-तलब किया।
बरेली (जून 2025): एक महिला पर बंदरों ने हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हुई।
मधुबनी, बिहार (अगस्त 2025): 20 से अधिक बंदरों के हमले में 67 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई।
इन घटनाओं ने यह दर्शाया है कि बंदरों से जुड़े हमले न सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुँचा रहे हैं बल्कि जन-जीवन और सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही से स्पष्ट है कि न्यायपालिका इस मुद्दे को गंभीरता से देख रही है। हालांकि, 28 अगस्त 2025 की सुनवाई में कोई अंतिम आदेश नहीं दिया गया है, केवल प्रतिवादियों को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है।
अब सबकी निगाहें 19 सितंबर 2025 की सुनवाई पर टिकी हैं, जब अदालत के समक्ष सभी संबंधित विभागों और बोर्डों का दृष्टिकोण स्पष्ट होगा।
