रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
नौगाम पुलिस स्टेशन में भीषण विस्फोट, नौ की मौत — आकस्मिक घटना करार दी गई
श्रीनगर 15 नवंबर। नौगाम स्थित पुलिस थाने के परिसर में शुक्रवार रात लगभग 11:20 बजे एक भयंकर धमाका हुआ। स्थानीय पुलिस और फॉरेंसिक टीम उस समय फरीदाबाद से बरामद विस्फोटक सामग्री — जिसे अमोनियम नाइट्रेट बताया गया है — की जाँच कर रही थी। इस हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हैं।
घटनाक्रम का स्वरूप
पुलिस सूत्रों के अनुसार, विस्फोट उस समय हुआ जब थाना परिसर में संरक्षित विस्फोटकों के नमूने लिए जा रहे थे।
धमाका इतना शक्तिशाली था कि पुलिस स्टेशन की इमारत को भारी क्षति पहुँच गई और आग लग गई।
बचाव दल, दमकल और अन्य सुरक्षा बल तुरंत मौके पर पहुंच गए और घायल कर्मियों को निकटतम अस्पतालों — जैसे कि 92 बेस अस्पताल — में भेजा गया।
स्थानीय प्रशासन ने धमाके के बाद पूरी जगह घेराबंदी कर दी है और आगे की जांच में जुट गया है।
हताहतों की प्रारंभिक जानकारी
कई रिपोटों र्में माना गया है कि मृतकों में पुलिसकर्मी और फॉरेंसिक (जाँच) टीम के अधिकारी शामिल हैं।
घायल व्यक्तियों की संख्या 27 से लेकर लगभग 30 तक बताई जा रही है। कुछ स्रोतों में यह भी कहा गया है कि घायलों में कई की हालत गंभीर है।
चारों ओर मलबा फैला हुआ है और मलबे को हटाने में बचाव दल को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारी और सरकार का रुख
जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (DGP) नलिन प्रभात ने मीडिया से कहा है कि यह कोई आतंकवादी हमला नहीं था, बल्कि दुर्घटनात्मक विस्फोट माना जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अभी तक आतंकवाद का कोई संकेत नहीं मिला है।
वहीं, पुलिस और संबंधित विभाग इस बात की विस्तृत फोरेंसिक जाँच कर रहे हैं कि विस्फोटक सामग्री कैसे सुरक्षित रूप से भंडारित की गई थी और नमूनाकरण के दौरान क्या सुरक्षा मानक लागू थे।
संदिग्ध विस्फोटक सामग्री और उसका स्रोत
यह विस्फोटक सामग्री कथित तौर पर फरीदाबाद (हरियाणा) से जब्त की गई थी, जो एक आतंकवादी गिरोह मॉड्यूल के संदर्भ में बरामद की गई थी।
पुलिस ने बताया है कि जब्त सामग्री में भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट शामिल था।
जांच में यह भी देखा जा रहा है कि अमोनियम नाइट्रेट के नमूनाकरण और भंडारण के समय उपयुक्त सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया गया था या नहीं।
विभिन्न दृष्टिकोण और चिंता
पुलिस-प्रशासन की प्रतिक्रिया: अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिक रूप से यह स्वतंत्र, निष्पक्ष और तकनीकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद का कोण फिलहाल काटा गया है।
जनता और स्थानीय लोग: आसपास के निवासियों ने विस्फोट की तीव्रता का अनुभव किया और उन्होंने पुलिस-प्रशासन से सुरक्षा मानकों को और सख्त करने की मांग की है; कई लोग मृतकों के लिए न्याय एवं जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
विश्लेषकों की टिप्पणी: सुरक्षा विशेषज्ञ यह देख रहे हैं कि नमूद विस्फोटक कब और कैसे पुलिस स्टेशन तक लाए गए थे, भंडारण व्यवस्था कैसी थी, और क्या संभावित चूक हुई है।
मानवाधिकार और पारदर्शिता: कुछ नागरिक-निगरानी समूह यह कह रहे हैं कि पूरी जाँच निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, तथा प्रभावितों — मारे गए कर्मियों के परिवारों — को सहायता एवं मुआवजा मिलना चाहिए।
आगे की चुनौतियाँ और जाँच की राह
1. विस्फोट की पूर्ण तकनीकी जाँच कराना — यह पहचानना कि विस्फोटक सामग्री की प्रकृति, संरचना और स्थिरता क्या थी।
2. नमूनाकरण प्रक्रिया की समीक्षा — जांच करना कि नमूने लेने का तरीका, संरक्षण और दस्तावेजी रिकॉर्ड सुरक्षित था या नहीं।
3. ठोस लगने वाले दोषियों की पहचान — यह देखना कि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कहीं हुआ था या नहीं।
4. प्रभावित परिवारों की मदद — घायलों को बेहतर चिकित्सा, मारे गए परिवारों को सहायता और मुआवजे की व्यवस्था।
5. भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम — पुलिस स्टेशन, फॉरेंसिक एजेंसियों और अन्य सुरक्षा इकाइयों में विस्फोटक पदार्थों के भंडारण और परीक्षण के लिए बेहतर सुरक्षा मापदंड स्थापित करना।
यह नौगाम पुलिस स्टेशन में हुआ विस्फोट न केवल एक त्रासदी है, बल्कि यह पुलिस-प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था के कामकाज पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। प्राथमिक बयान मिशन मोड में हैं, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि विस्फोट की जड़ तक पहुँचने के लिए तकनीकी, प्रशासनिक और मानवीय स्तर पर गहन और पारदर्शी जाँच की आवश्यकता है। भारत सरकार और जम्मू-काश्मीर प्रशासन के लिए यह जिम्मेदारी है कि वे मृतकों के परिवारों को न्याय दें और आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाएँ।
