रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़ प्रयागराज। 2025 के महाकुंभ में 13 साल की नाबालिग बच्ची को दीक्षा देकर संन्यासनी बनाने वाले महंत कौशल गिरि के विरुद्ध खड़ा परिषद द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने महंत कौशल गिरि दोषी मानते हुए अखाड़े से सात साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह फैसला अखाड़े की महासभा में सर्वसम्मति से लिया गया। नाबालिग कन्या को परिवार के सुपरहिट कर दिया गया। अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत नारायण गिरी ने एक वीडियो इस संबंध में सोशल मीडिया पर जारी की। जूना अखाड़े के प्रवक्ता के मुताबिक अखाड़े की परंपरा के अनुसार किसी नाबालिग बच्ची को सन्यासनी नहीं बनाया जा सकता। किसी बच्ची को संन्यास की दीक्षा नहीं दी जा सकती है। बालिग होने के बाद ही किसी महिला को संन्यास की दीक्षा जा सकती है। महंत कौशल गिरी द्वारा अखाड़े की परंपरा और नियम को तोड़ने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई हुई है। बता दें कि तीन दिन पूर्व महंत कौशल गिरि ने आगरा के रहने वाली 13 वर्षीय बच्ची राखी सिंह को संन्यास की दीक्षा दी थी। राखी सिंह आगरा के स्प्रिंगफील्ड स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा है। उसके पिता आगरा में पेठे का कारोबार करते हैं। 26 दिसंबर को आगरा से संदीप सिंह ढाकरे और उनकी पत्नी रीमा अपने परिवार के साथ संगम क्षेत्र के सेक्टर नंबर 20 में अपने गुरु कौशल गिरि के शिविर में पहुंचे। महाराज कौशल गिरि जूना अखाड़े के श्री महंत हैं। बीते सोमवार को संदीप और रीमा ने अपनी बड़ी बेटी राखी का पूजा अर्चना कर कन्याओं से दान कर दिया था। महंत कौशल गिरी द्वारा राखी सिंह को संन्यास की दीक्षा देने के उपरांत उसको गौरी गिरि नाम दिया गया था। राखी उर्फ गौरी गिरि ने खुद ही साध्वी बनने की इच्छा जाहिर की थी। राकेश सिंह के मुताबिक वह महंत कौशल गिरि के साथ जुड़कर सनातन की सेवा करना चाहती थी। अखाड़े की आमसभा में लिया गया महंत कौशल गिरी के विरुद्ध फैसला इस मामला के सुर्खियों में आने के बाद जूना अखाड़े द्वारा आम सभा बुलाई गई जिसमें और महंत कौशल गिरी के निष्कासन की कार्रवाई की गई। संत समाज इसकी निंदा करते हुए महंत का विरोध शुरू कर दिया था। रमता पंच द्वारा इस तरह की गतिविधि को गलत बताया गया। दीक्षा लेकर साध्वी बनी राखी (गौरी) को वापस उसके माता-पिता के पास भेज दिया गया। साथ ही इस कृत्य के लिए महंत कौशल गिरी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया। यह महत्वपूर्ण बड़ा फैसला जूना अखाड़े की आमसभा में लिया गया।