जन वाणी न्यूज़
**खतौली विधायक मदन भैया की सादगी बनी मिसाल
बिटिया के विवाह में केवल 101 रुपये का शगुन स्वीकार कर समाज को दिया बड़ा संदेश**
जनवाणी ब्यूरो। पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में खतौली विधायक मदन भैया को उनकी सादगी, जनता से सीधा जुड़ाव और पांच बार विधायक बनने के बावजूद भी जमीन से जुड़े रहने के लिए पहचाना जाता है। उनकी इसी सरलता का एक अद्भुत उदाहरण उनकी बिटिया के विवाह में देखने को मिला, जब उन्होंने अतिथियों से केवल 101 रुपये का ही शगुन स्वीकार करने की परंपरा निभाते हुए समाज में नई सोच को जन्म दिया।
नेता नहीं, संस्कारवान पिता — 101 रुपये शगुन लेकर परंपरा को सम्मान
विवाह समारोह में जहां प्रायः लोग ऊँचे-ऊँचे उपहार देने की होड़ में रहते हैं, वहीं मदन भैया ने साफ कहा—
“हमारी परंपरा में 101 रुपये ही शुभ माने जाते हैं, इसलिए हम उसी परंपरा को निभाएंगे।”
यह निर्णय न सिर्फ परिवार की परंपरा का सम्मान था, बल्कि समाज में दिखाए जाने वाले अनावश्यक खर्च और दिखावे पर एक सकारात्मक विराम भी था।
लौटा दिए अधिक राशि वाले लिफ़ाफे — कहा ‘हमारे यहां सादगी ही शगुन है’
समारोह में कुछ अतिथियों ने हजारों रुपये का शगुन देने की कोशिश की, परन्तु मदन भैया ने सादगी और परंपरा को सर्वोपरि रखते हुए अधिक राशि वापस लौटाकर सिर्फ 101 रुपये ही स्वीकार किए।
इस व्यवहार ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि—
संस्कार पद से बड़े होते हैं
दिखावे से परंपरा का सम्मान अधिक महत्वपूर्ण है
नेता अपने आचरण से समाज का मार्गदर्शन भी करते हैं
समाज में चर्चा — विधायक मदन भैया ने दी सादगी की नई मिसाल
खतौली और आसपास के क्षेत्रों में इस पहल की चर्चा विशेष रूप से हो रही है।
लोग कह रहे हैं कि बड़े पद और व्यापक राजनीतिक प्रभाव के बावजूद भी इतनी सादगी आज दुर्लभ है।
इस कदम से यह भी सिद्ध हुआ कि—
राजनेता यदि सादगी अपनाएं तो समाज में सकारात्मक बदलाव तेजी से आता है
पुरानी परंपराएँ जीवित रहेंगी, जब उन्हें निभाने वाले लोग आगे आएंगे
नई पीढ़ी भी प्रेरित — विवाह में संयम और संस्कार दोनों का सुंदर संगम
विवाह के आयोजन में जो सादगी दिखाई दी, उसने युवाओं को भी सोचने पर मजबूर किया कि—
संस्कार सबसे बड़ा धन हैं
दिखावा रिश्तों को कमजोर करता है
परंपराओं का पालन करने से परिवार की गरिमा बढ़ती है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता का मानवीय चेहरा
मदन भैया को अक्सर क्षेत्र में कद्दावर, प्रभावी और जनता के मुद्दों पर मुखर नेता के रूप में जाना जाता है, परंतु इस अवसर पर उनका संस्कारवान पिता वाला पक्ष देखने को मिला।
एक नेता जब परिवार और समाज दोनों के प्रति ऐसा संतुलित और सादगीपूर्ण व्यवहार दिखाता है तो वह केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक नेतृत्व भी स्थापित करता है।
खतौली विधायक मदन भैया ने विवाह जैसे बड़े अवसर पर समाज के सामने सादगी का ऐसा उदाहरण रखा, जिसे आने वाले समय में “परंपरा का पुनर्जीवन” कहा जाएगा।
उनके इस कदम ने यह सिद्ध किया कि—
“सही नेतृत्व वही है जो समाज को दिखावे से हटाकर मूल्यों और संस्कारों की ओर ले जाए।”
