रविन्द्र बंसल वरिष्ठ संवाददाता / जन वाणी न्यूज़
कानपुर। बाबूपुरवा सीओ ऑफिस में तैनात पुलिस कर्मी 15000 रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार। बता दे कि इन दोनों प्रदेश में आनेकों पुलिस कर्मियों एवं अन्य विभाग के कर्मचारियों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन द्वारा पकड़ा गया है। यह भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लेकिन सरकार की शक्ति के बावजूद भी भ्रष्टाचार के मामले दिन प्रतिदिन सामने आते रहते हैं। इसमें एक सवाल यह भी उठता है क्या निचले स्तर के कर्मचारियों की इतनी हिम्मत है कि वह इतनी मोटी रिश्वत ले? क्या उसके उच्च अधिकारियों को मालूम नहीं होता है, कि उनके अधिनिस्थ कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिफ्ट हैं? जब भी कोई कार्रवाई होती है तो ज्यादातर मामलों में एंटी करप्शन ही कार्रवाई करती है। क्यों नहीं भ्रष्ट कर्मचारियों के उच्च अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं। यह रिश्वत का पैसा किस-किस को जाता है कौन-कौन इसमें शामिल हैं इसकी विस्तृत जांच क्यों नहीं कराई जाती। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों द्वारा भी रिश्वत का पैसा निचले स्तर के कर्मचारियों द्वारा लिया जाता है। और उल्टे सीधे काम भी उन्हीं के द्वारा कराए जाते हैं। अगर मामला खुलता भी है तो निचले स्तर का कर्मचारी फसता है। अधिकारी का कुछ नहीं बिगड़ता। जबकि सूत्रों की माने तो अधिकारी के मर्जी के विरुद्ध उनके ऑफिस में कोई एक रूपया भी नहीं ले सकता है। कानपुर के सीईओ ऑफिस में एंटी करप्शन द्वारा शाहनवाज खान को 15 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह विषय अति सोचनीय है कि एक पुलिसकर्मी द्वारा इतनी बड़ी रिश्वत आखिर किस दम पर ली जा रही थी।
सवाल यह उठता है। इसकी जांच क्यों नहीं होती ये पैसा किस-किस को जाता है। यह जांच भी आवश्यक होनी चाहिए कि ये रिश्वत का पैसा आखिर किस किस की जेब मे जाता था।