रविन्द्र बंसल वरिष्ठ संवाददाता / जन वाणी न्यूज़ भूमि अधिग्रहण के विरोध में मंडोला विहार योजना गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से प्रभावित किसानों ने सोमवार को किसान दिवस के अवसर किसान घाट पर पहुंच कर अर्धनग्न सत्याग्रह करने का प्रोग्राम तय किया हुआ था। लेकिन किसानों को आवास विकास परिषद कार्यालय से चलने के बाद रोड पर दिल्ली जाने से यह कहकर रोका गया कि आप दिल्ली पैदल मार्च लेकर नहीं जा सकते। जिस पर अर्धनग्न किसान घुटनों व पेट के बल रेंग कर आगे बढ़ने लगे । इससे अधिकारियों के पसीने छूट गए लोनी। अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सोमवार को किसानों ने जैसे ही अर्धनग्न होकर दिल्ली कूंच किया तो प्रशासन ने आंदोलनरत किसानों कोई यह कहते हुए रोक दिया, कि आप पैदल दिल्ली मार्च नहीं कर सकते। जिस पर किसानों न घुटनों एवं पेट के बल आगे बढ़ना शुरू कर दिया। जिस पर प्रशासन के पसीने छूट गए । और अधिकारी किसानों से आगे ने बढ़ाने की मिन्नतें करने लगे। काफी समझाने बुझाने के बाद किसान इस बात पर राजी हुए कि प्रशासन स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी की प्रतिमा यही पर मंगाए हम किसान दिवस के मौके पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करेंगे प्रशासन ने तत्काल रोड पर ही यह व्यवस्था कराई। किसानों ने पुष्प अर्पित कर दैनिक सत्याग्रह किया । आठ वर्षो से चली आ रही लड़ाई से संबंधित विभाग उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता को भी मौके पर बुलाया गया जिन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि आगामी 26 दिसंबर तक प्रमुख सचिव आवास की अध्यक्षता में वार्ता कराकर समाधान कराएंगे। जिस पर किसान सहमत हो गए, और अपने धरने पर वापिस लौट कर आंदोलन के क्रम में अग्रिम फैसला लेते हुए घोषणा कर दी कि यदि 26 तारीख तक कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकाला गया तो परिषद कार्यालय की संपूर्ण ताले बंदी को अंजाम देंगे । किसानों के लिए देश की राजधानी ऐसे हो गई जैसे कोई पड़ोसी देश किसान को ना ट्रेक्टर से जाने दिया जाता है ना ही पैदल आज हमने रेंगते हुए भी चलकर देख लिया नहीं जाने दिया गया। प्रदेश शासन एवं प्रशासन के रवैये को लेकर को लेकर पिछले 8 वर्षों से आंदोलनरत किसानों में भारी आक्रोश है। आंदोलनरत किसानों में मुख्य रूप से महेंद्र सिंह त्यागी, नीरज त्यागी, ज्ञानचंद, राधेश्याम त्यागी, संतोष मुखियन आदि सहित सैकड़ो की संख्या में महिला एवं पुरुष किसान शामिल थे।