लाल किला परिसर से करोड़ों का सोने-हीरे जड़ा कलश चोरी

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़

लाल किला परिसर से करोड़ों का सोने-हीरे जड़ा कलश चोरी

यूनेस्कों धरोहर स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

नई दिल्ली, 06 सितम्बर।
देश की ऐतिहासिक धरोहर लाल किला परिसर से करोड़ों रुपये कीमती एक दुर्लभ कलश चोरी होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह घटना न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा रही है।

🔎 चोरी हुआ कलश – ऐतिहासिक धरोहर

सूत्रों के अनुसार चोरी हुआ कलश लगभग 760 ग्राम शुद्ध सोने से निर्मित था। इसमें करीब 150 ग्राम हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़े हुए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक है।

इतिहासकारों का मानना है कि यह कलश मुगल काल के दौरान निर्मित किया गया था और इसे लाल किले की वास्तुकला में एक धार्मिक-आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में लगाया गया था। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, ऐसे कलश समृद्धि और संरक्षण के प्रतीक माने जाते हैं।

🛡️ सुरक्षा में भारी चूक

इतिहास और धरोहर संरक्षण विशेषज्ञों के अनुसार, लाल किला यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जहां प्रतिदिन हजारों पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसे में यहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और स्थानीय दिल्ली पुलिस की होती है।
जानकारी के अनुसार जिस स्थान से कलश चोरी हुआ, वहां सीसीटीवी कैमरे और 24 घंटे तैनात सुरक्षा बल मौजूद रहते हैं। बावजूद इसके चोरी हो जाना सुरक्षा तंत्र की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।

📜 कलश का महत्व

कालखंड: मुगलकालीन (17वीं शताब्दी)

धातु संरचना: 760 ग्राम सोना, 150 ग्राम बहुमूल्य रत्न (हीरा, माणिक्य, पन्ना)

धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व: समृद्धि, पवित्रता और शक्ति का प्रतीक

वास्तुकला दृष्टि से: किले की प्राचीन छतरी और गुंबदों को अलंकृत करने हेतु प्रयुक्त

🚨 जांच की स्थिति

पुलिस ने चोरी का मामला दर्ज कर लिया है और कलश की बरामदगी के लिए विशेष टीम गठित की गई है। फॉरेंसिक और तकनीकी टीमों को भी जांच में लगाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और संदिग्ध व्यक्तियों की तलाश की जा रही है।

❓ उठते सवाल

1. लाल किले जैसे संरक्षित और संवेदनशील स्थल से इतनी बड़ी चोरी कैसे हो गई?

2. क्या सुरक्षा एजेंसियों और पुरातत्व विभाग की ओर से लापरवाही बरती गई?

3. धरोहरों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक (RFID, लेजर अलार्म, 3D स्कैनिंग) क्यों नहीं अपनाई गई?

🔔 निष्कर्ष

लाल किले से कलश की चोरी सिर्फ एक बहुमूल्य वस्तु का गुम होना नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की असुरक्षा को उजागर करता है। अब देखना होगा कि सुरक्षा एजेंसियां और प्रशासन इस घटना के बाद धरोहरों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता दिखाते हैं।

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