
रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
गाज़ियाबाद: 4 लाख की रिश्वत लेते इंस्पेक्टर रंगे हाथ गिरफ्तार
कफ-सिरप तस्करी की साढ़े 3 करोड़ की खेप की जांच में घूसखोरी का आरोप
क्राइम ब्रांच परिसर से पुलिस कमिश्नर की टीम ने किया ट्रैप
गाज़ियाबाद। पुलिस कमिश्नरेट में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान को बड़ा मोड़ तब मिला जब क्राइम ब्रांच की विवेचना सेल में तैनात एक इंस्पेक्टर को अपनी ही शाखा के परिसर में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। करोड़ों की प्रतिबंधित कफ-सिरप जब्ती केस की जांच के बीच सामने आई यह घटना पुलिस प्रणाली में छिपे गम्भीर भ्रष्टाचार की ओर एक स्पष्ट संकेत मानी जा रही है।
इंस्पेक्टर रमेश सिंह सिंधु को 4 लाख रुपये लेते दबोचा गया
क्राइम ब्रांच की विवेचना सेल में तैनात इंस्पेक्टर रमेश सिंह सिंधु को मंगलवार शाम 4 लाख रुपये की नकदी स्वीकार करते हुए पुलिस कमिश्नर की विशेष टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। ट्रैप क्राइम ब्रांच परिसर में ही लगाया गया था, जहाँ शिकायत और निगरानी के बाद अधिकारियों ने पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार कार्रवाई की।
सूत्रों के अनुसार यह रिश्वत साढ़े 3 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित कफ-सिरप खेप की जांच को प्रभावित करने और संबंधित पक्षों को राहत देने के बदले ली जा रही थी।
घटना कैसे हुई — पूरा घटनाक्रम
शिकायत पुलिस कमिश्नर तक पहुँची
विशेष टीम गठित कर निगरानी शुरू की गई
तय स्थान पर रकम सौंपे जाने के क्षण पर दबिश
4 लाख रुपये नकद बरामद
इलेक्ट्रॉनिक व भौतिक साक्ष्य भी कब्जे में लिए गए
घटनास्थल से मिली नकदी को सील किया गया है और आरोपी अधिकारी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है।
कफ-सिरप केस: जांच के दौरान बढ़ता दबाव और रिश्वत का जाल
हाल ही में गाज़ियाबाद पुलिस ने प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ-सिरप की साढ़े 3 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की खेप पकड़ी थी, जिसमें कई राज्यों से जुड़े तस्करों का नेटवर्क सामने आया। इसी संवेदनशील जांच के दौरान विवेचना सेल के इस इंस्पेक्टर पर आरोप है कि वह पैसे लेकर आरोपियों को राहत देने का प्रयास कर रहे थे।
गिरफ्तारी के बाद विभाग में हलचल
गिरफ्तारी के तुरंत बाद वरिष्ठ अधिकारी परिसर पहुँचे और आरोपी इंस्पेक्टर को हिरासत में ले लिया गया।
विभागीय निलंबन की प्रक्रिया शुरू
रिश्वतखोरी पर अलग एफआईआर दर्ज कर ली गई
कफ-सिरप जांच से अधिकारी को हटाने की तैयारी
अन्य संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में
पुलिस कमिश्नरेट ने इसे “जीरो टॉलरेंस पॉलिसी” के तहत की गई कार्रवाई बताया है।
आगे की प्रक्रिया
बरामद रकम की फोरेंसिक जांच
डिजिटल साक्ष्यों की रिकवरी
मुखबिर व शिकायतकर्ता के बयान
तस्करी केस में नए खुलासे
यह कार्रवाई क्राइम ब्रांच की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े करने के साथ-साथ दिखाती है कि पुलिस कमिश्नरेट अपने ही तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर रुख अपना रहा है। करोड़ों की अवैध दवा बरामदगी की जांच के बीच सामने आया रिश्वत मामला पूरी व्यवस्था को झकझोरने वाला है।
