पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर संदिग्ध हालात में ट्रेन से उतारे गए, देवरिया के 26 साल पुराने केस में गिरफ्तारी

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़

पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर संदिग्ध हालात में ट्रेन से उतारे गए, देवरिया के 26 साल पुराने केस में गिरफ्तारी

1999 के औद्योगिक प्लॉट आवंटन में धोखाधड़ी का आरोप; शाहजहांपुर जंक्शन से हिरासत, कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

लखनऊ/शाहजहांपुर/देवरिया।
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर अपनी मुखर सक्रियता के लिए चर्चित उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को बुधवार तड़के संदिग्ध परिस्थितियों में ट्रेन से उतारकर हिरासत में लेने की घटना ने हड़कंप मचा दिया है। ठाकुर लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे, तभी शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर 10–15 सिविल वेशधारी व्यक्तियों ने उन्हें अचानक डिब्बे से नीचे उतार लिया। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ये लोग सिविल पुलिस के प्रतीत हो रहे थे और RPF या GRP से संबंधित नहीं थे।

घटना के तुरंत बाद कुछ घंटों तक यह स्पष्ट नहीं था कि उन्हें कहां ले जाया गया है। उनकी पत्नी और समाजसेवी नूतन ठाकुर द्वारा सोशल मीडिया पर सूचना साझा किए जाने के बाद मामला सुर्खियों में आया। परिवार ने प्रारंभिक क्षणों में इसे “संदिग्ध तरीके से ले जाए जाने” जैसी स्थिति बताया।

देवरिया में दर्ज FIR पर हुई कार्रवाई

पुलिस द्वारा बाद में पुष्टि की गई कि ठाकुर को देवरिया जिले में दर्ज FIR संख्या 1021/25 के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। यह FIR वर्ष 1999 में हुए औद्योगिक प्लॉट आवंटन और बाद की बिक्री से जुड़े कथित फर्जीवाड़े पर आधारित है। आरोप है कि उस समय प्लॉट आवंटन प्रक्रिया में फर्जी नाम, गलत पते और जाली दस्तावेजों का उपयोग किया गया था।

FIR में गंभीर धाराएँ जैसे—419, 420, 467, 468 और 120B—लगाई गई हैं। पुलिस का कहना है कि शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत नए दस्तावेजों और रिकार्ड की जांच में अनियमितताएँ सामने आने पर यह मुकदमा दर्ज किया गया।

गिरफ्तारी की विधि पर सवाल

गिरफ्तारी को लेकर दो पहलू विवाद का केंद्र बने हुए हैं—

1. मामला 26 वर्ष पुराना है, और इतने वर्षों बाद अचानक कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

2. ट्रेन से उतारकर हिरासत में लेने की शैली पर परिवार और समर्थकों ने اعتراض जताया है।

 

उधर पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी “कानून सम्मत प्रक्रिया” के तहत की गई है और इसे शिकायत तथा उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अंजाम दिया गया।

देवरिया कोर्ट ने भेजा न्यायिक हिरासत में

हिरासत में लिए जाने के बाद ठाकुर को शाहजहांपुर से सीधे देवरिया ले जाया गया, जहां उन्हें अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता और दस्तावेज़ी जांच के मद्देनजर उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। पुलिस ने कहा है कि आगे पूछताछ और रिकॉर्ड सत्यापन की प्रक्रिया जारी है।

1999 से 2025 तक की घटनाओं का संक्षिप्त क्रम (Timeline)

1999

देवरिया औद्योगिक परिसर (DIC) में प्लॉट आवंटन से जुड़ी प्रक्रियाएँ। बाद में आरोप—फर्जी दस्तावेज़ों और गलत पहचान का उपयोग।

1999–2005

मामला शांत, कोई विवाद सार्वजनिक नहीं।

2005–2020

अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर पारदर्शिता, भ्रष्टाचार, RTI और पुलिस सुधारों पर सक्रिय। कई बार प्रशासनिक विवादों में भी रहे।

मार्च 2021

अमिताभ ठाकुर को प्रशासनिक मूल्यांकन के आधार पर जबरन सेवानिवृत्त किया गया।

2025 (शिकायत पुनर्जीवित)

शिकायतकर्ता द्वारा 1999 के प्लॉट विवाद से जुड़े दस्तावेज़ों के आधार पर नया आवेदन, जिसके बाद FIR दर्ज।

10–11 दिसंबर 2025

रात लगभग 2 बजे शाहजहांपुर स्टेशन पर ट्रेन से उतारकर हिरासत में लिया गया।

11–12 दिसंबर 2025

देवरिया ले जाकर कोर्ट में पेशी। अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा।

 

कौन हैं अमिताभ ठाकुर

1992 बैच के पूर्व IPS

भ्रष्टाचार विरोधी और पारदर्शिता आंदोलन से जुड़े

पुलिस कार्यप्रणाली, मानवाधिकार और RTI मुकदमों में सक्रिय भूमिका

कई मामलों में प्रशासन और राजनीतिक शक्तियों के विरोध में अपनी बात रखने के लिए चर्चित

2021 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद भी सार्वजनिक मुद्दों पर सक्रिय

मामले पर आगे की निगाह

यह मामला कई संवेदनशील सवाल खड़े करता है—

क्या दशकों पुराने विवादों को अचानक सक्रिय किया जाना न्यायसंगत है?

क्या गिरफ्तारी की प्रक्रिया नियमों के अनुरूप थी?

क्या यह कार्रवाई प्रशासनिक या राजनीतिक पृष्ठभूमि से प्रभावित हो सकती है?

इन सभी बिंदुओं पर पुलिस और अदालत की आगामी कार्यवाही महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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