रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
लोग जिन्हें मनते थे कभी ईमानदारी की मिसाल पूर्व इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप — जौनपुर में हत्या पीड़ित को झूठे मामले में फसाने के भी आरोपों
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के पूर्व इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा, जिनकी छवि एक ईमानदार और निष्पक्ष अधिकारी के रूप में रही है, अब भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। उनके खिलाफ विजिलेंस विभाग ने एफआईआर दर्ज की है, जिसमें आय से अधिक संपत्ति और अनुपातहीन खर्च के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा, जौनपुर जिले में भी उनके खिलाफ धोखाधड़ी और हत्या पीड़ित के विरुद्ध झूठे आरोपों में केस दर्ज करने का मामला भी दर्ज हुआ है जिससे उनकी छवि को और धक्का लगा है।
1. भ्रष्टाचार मामला: आय से अधिक संपत्ति का आरोप
विजिलेंस विभाग की जांच में यह पाया गया कि प्रेमवीर सिंह राणा ने अपनी आय के मुकाबले लगभग ₹3 करोड़ अधिक संपत्ति अर्जित की है। इस पर उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया, लेकिन वे संतोषजनक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। इसके परिणामस्वरूप, विजिलेंस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हालांकि, गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है, और कानूनी प्रक्रिया जारी है।
2. जौनपुर में धोखाधड़ी और हत्या के मामले में पीड़ित पर झूठ आरोप लगाकर आरोप पत्र देने
प्रेमवीर सिंह राणा पर आरोप है कि उन्होंने जौनपुर जिले के लाइन बाजार थाना क्षेत्र में एक हत्या के मामले में पीड़ित के परिवार को झूठे आरोपों में फंसाया। बृजपाल सिंह की हत्या के बाद उनके पुत्र निश्चय राणा ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि प्रेमवीर सिंह राणा और उनके सहयोगियों ने पीड़ित पर सुलह समझौते का दबाव बनाया, और निश्चय राणा द्वारा ऐसा न करने पर उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए।
पीड़ित का कहना है कि प्रेमवीर सिंह राणा और उनके सहयोगियों ने जौनपुर के राम आसरे सिंह को रुपये का लालच देकर उसके खिलाफ झूठी तहरीर दी। इसके परिणामस्वरूप, तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा ने 2019 में धोखाधड़ी, गाली-गलौज समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। विवेचक दारोगा गोपाल जी तिवारी ने विवेचना के दौरान गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ाते हुए, फर्जी नोटिस और बिना गिरफ्तारी कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की।
इस मामले की शिकायत पीड़ित ने वाराणसी जोन के एडीजी से की। एडीजी के आदेश पर लाइन बाजार थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा, दारोगा गोपाल जी तिवारी, राम आसरे सिंह, बाबू, नीरज, रतनवीर उर्फ मोनू, रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा और प्रताप सिंह राणा के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 469, 471, 506 और 120-B के तहत केस दर्ज किया गया।
3. विभागीय कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया
वर्तमान में, प्रेमवीर सिंह राणा के खिलाफ दोनों मामलों में कानूनी प्रक्रिया जारी है। विजिलेंस विभाग और जौनपुर पुलिस द्वारा की गई जांच में कई गंभीर आरोप सामने आए हैं। हालांकि, अभी तक उनकी गिरफ्तारी की कोई पुष्टि नहीं हुई है। कानूनी प्रक्रिया के तहत, यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो उन्हें सजा हो सकती है।
प्रेमवीर सिंह राणा का मामला एक ऐसे अधिकारी की कहानी है, जिनकी ईमानदारी की छवि अब भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के कारण धूमिल हो गई है। जौनपुर में हत्या पीड़ित को झूठे मामले में फसाने में भी उनका नाम जुड़ा है, जिससे उनकी छवि को और धक्का लगा है। अब यह देखना होगा कि कानूनी प्रक्रिया में क्या परिणाम सामने आते हैं और क्या वे अपनी छवि को पुनः स्थापित कर पाते हैं।
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