उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर, 28 ज़िले प्रभावित, लाखों लोग संकट में

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़

उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर, 28 ज़िले प्रभावित, लाखों लोग संकट में

लखनऊ, 05 सितम्बर

यमुना और गंगा नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर

भारी बरसात और पहाड़ी नदियों के उफान से उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बाढ़ का कहर जारी है। प्रदेश के 28 ज़िले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें गाज़ियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, आगरा, अलीगढ़, गोरखपुर और सीतापुर प्रमुख रूप से शामिल हैं। प्रशासन के अनुसार अब तक 889 गाँव और 4 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।

 

नदियों का जलस्तर बढ़ा, खतरे में गाँव

यमुना और गंगा नदियाँ कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गाज़ियाबाद और नोएडा क्षेत्र में यमुना का पानी पुस्‍ता रोड तक पहुँच गया है, जिससे करीब 2,500 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। वहीं गंगा के उफान से पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के ज़िले प्रभावित हुए हैं।

 

सबसे अधिक नुकसान इन क्षेत्रों में

गौतमबुद्ध नगर और गाज़ियाबाद: यमुना और हिंडन नदियों का पानी आवासीय इलाकों तक पहुँच गया है, लोग टेंटों और अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं।

आगरा और अलीगढ़: अतिवृष्टि के कारण फसलों को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचा है।

गोरखपुर और सीतापुर: निचले क्षेत्रों के गाँवों में घरों में पानी घुसने से जीवन अस्त-व्यस्त है।

 

प्रशासन और राहत एजेंसियों की तैनाती

प्रदेश सरकार ने अब तक 319 राहत शिविर स्थापित किए हैं। इनमें प्रभावित परिवारों के लिए भोजन, पीने का पानी, शिशु आहार और दवाइयों की व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य कर रही हैं।

राज्य राहत आयुक्त कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 5,400 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और प्रभावित इलाकों में लगातार निगरानी रखी जा रही है।

 

नागरिकों की परेशानियाँ

बाढ़ से सबसे बड़ी दिक़्क़त आवास और आवागमन की हो रही है। गाँवों के रास्ते डूब गए हैं, पशुओं के लिए चारा और साफ पानी की कमी है। कई परिवारों को अपना घर छोड़कर तंबुओं में रहना पड़ रहा है।

सरकार का सख़्त रुख

प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी ज़िलाधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट पर रहने और प्रभावितों को तत्काल राहत देने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है —
“जनता की सुरक्षा और राहत हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

कुल मिलाकर स्थिति

उत्तर प्रदेश में बाढ़ की मौजूदा स्थिति प्रशासन और नागरिकों दोनों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। यमुना और गंगा नदियों के जलस्तर पर नज़र बनाए रखने के साथ-साथ सरकार और राहत एजेंसियाँ लगातार सक्रिय हैं।

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