मंडोला विहार योजना के खिलाफ किसानों का सत्याग्रह आंदोलन तेज भूमि अधिग्रहण, मुआवजा विसंगति और अधिकारों की मांग पर लोनी तहसील में तालाबंदी

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़ 

मंडोला विहार योजना के खिलाफ किसानों का सत्याग्रह आंदोलन तेज

भूमि अधिग्रहण, मुआवजा विसंगति और अधिकारों की मांग पर लोनी तहसील में तालाबंदी

गाजियाबाद। लोनी तहसील क्षेत्र अंतर्गत मंडोला क्षेत्र में उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की मंडोला विहार योजना के विरोध में किसानों का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन सोमवार को उग्र रूप ले गया। भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में आंदोलनरत किसानों ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार मंडोला से लोनी तहसील तक पैदल मार्च निकाला और वहां पहुंचकर तहसील कार्यालय की संपूर्ण तालाबंदी कर दी।

सुबह लगभग आठ बजे किसानों ने आवास विकास परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय की तालाबंदी करते हुए प्रदर्शन शुरू किया। इसके बाद दोपहर करीब बारह बजे बड़ी संख्या में किसान पैदल मार्च निकालते हुए लोनी तहसील पहुंचे। तहसील परिसर में उपजिलाधिकारी के न मिलने पर किसानों का आक्रोश भड़क उठा और उन्होंने पूरे तहसील परिसर के मुख्य द्वार पर ताले जड़ दिए।

तहसीलदार लोनी ने मौके पर पहुंचकर किसानों से वार्ता की कोशिश की, लेकिन किसानों ने साफ शब्दों में कहा कि नौ वर्षों से उनकी मांगों से सभी अधिकारी परिचित हैं, अब कोई औपचारिक आश्वासन नहीं चलेगा। किसानों ने दो टूक कहा कि जब तक सक्षम अधिकारी मौके पर आकर किसानों के प्रतिनिधियों के साथ टेबल पर बैठकर ठोस समझौता नहीं करते, तब तक तालाबंदी जारी रहेगी।

देर शाम करीब सात बजे एडीएम भू अर्जन विवेक मिश्रा किसानों को मनाने लोनी तहसील पहुंचे लेकिन काफी मान-मनौव्वल करने पर भी किसान अपने मांगे ने माने जाने तक तहसील मुख्यालय पर धरना देने पर अड़े रहे। किसान अभी तक तहसील पर जमे हुए हैं।

किसानों की मुख्य मांगें

किसानों ने अपने मांगपत्र में कहा है कि मंडोला विहार योजना से प्रभावित किसानों के साथ भेदभावपूर्ण मुआवजा नीति अपनाई गई है।
उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की मधुबन-बापूधाम योजना में दिए गए मुआवजे की दर और मंडोला विहार योजना में मिले मुआवजे के बीच लगभग तीन वर्ष का अंतर है, जिसे महंगाई दर के अनुसार संशोधित किया जाए।

प्रभावित किसानों को मधुबन-बापूधाम योजना की तर्ज पर 10% भूखंड बिना किसी कटौती के निशुल्क दिए जाएं।

आबादी क्षेत्रों को अधिग्रहण से मुक्त किया जाए।

ग्राम पंचायत मंडोला द्वारा वर्ष 1980-81 में दिए गए पंचायती प्लॉट, जिन्हें परिषद ने ध्वस्त कर अपने कब्जे में ले लिया, उन्हें पात्र व्यक्तियों को वापस किया जाए।

लोनी नगर क्षेत्र से मिला व्यापक समर्थन

लोनी तहसील के बाहर जारी इस आंदोलन को स्थानीय निवासियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों का भी व्यापक समर्थन मिला। किसानों ने शाम तक तहसील परिसर में डटे रहकर रात्रि विश्राम करने का निर्णय लिया। आंदोलनकारियों ने घोषणा की कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, वे तहसील प्रांगण में ही डटे रहेंगे।

आंदोलन में बड़ी संख्या में किसान शामिल

भारतीय किसान यूनियन की ओर से इस आंदोलन का नेतृत्व बिल्लू प्रधान, संगठन मंत्री प्रवीण मालिक, टीनू चौधरी, सुनील बालियान, शमशेर राणा, मनवीर प्रधान, मंडोला धरने के संयोजक महेंद्र सिंह त्यागी, शहजाद, चौधरी आबिद अली, नौशाद सिद्दीकी, मेहबां सिद्दीकी, सलीम मालिक, राजबीर त्यागी, चौधरी दिलबर, बॉबी त्यागी, राकेश त्यागी, लोकेंद्र त्यागी और सुरेश त्यागी समेत सैकड़ों किसानों ने किया।

किसानों का कहना है कि यह आंदोलन केवल मंडोला के किसानों का नहीं, बल्कि उन सभी किसानों की आवाज है जिनकी जमीनें विकास के नाम पर बिना न्यायसंगत मुआवजे के अधिग्रहित की गई हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक सरकार और आवास विकास परिषद उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाते, यह सत्याग्रह जारी रहेगा।

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