आधी रात में अनंत सिंह की गिरफ्तारी : मोकामा हत्याकांड से मचा सियासी भूचाल

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़

आधी रात में अनंत सिंह की गिरफ्तारी : मोकामा हत्याकांड से मचा सियासी भूचाल

दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में जेडीयू प्रत्याशी समेत तीन गिरफ्तार, 80 से अधिक हिरासत में, जांच सीआईडी को सौंपी गई

पटना, 2 नवम्बर। बिहार की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। मोकामा के ताल क्षेत्र में हुई दुलारचंद यादव हत्या मामले ने पूरे राज्य का राजनीतिक माहौल बदल दिया है। इसी कड़ी में पुलिस ने शनिवार की आधी रात को बाहुबली नेता और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में दो अन्य लोगों – मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम – को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। घटना के बाद से इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है और पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बढ़ा दी है।

घटनाक्रम : प्रचार सभा में मचा हड़कंप

घटना 30 अक्टूबर को मोकामा विधानसभा क्षेत्र के ताल इलाके में हुई, जहाँ जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी की सभा चल रही थी। इसी दौरान दो गुटों के बीच झड़प हो गई, जो बाद में हिंसक रूप ले बैठी। भीड़ में मौजूद 75 वर्षीय दुलारचंद यादव पर हमला हुआ और गंभीर चोटों के कारण उनकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फेफड़ों और हृदय पर चोट, पसलियों में फ्रैक्चर और वाहन से कुचलने के निशान पाए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह हत्या का सुनियोजित मामला था, न कि किसी आकस्मिक झड़प का परिणाम।

पुलिस का बयान : “हत्या का मामला स्पष्ट”

पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय कुमार शर्मा ने बताया

> “मृतक के परिजनों के बयान, वीडियो साक्ष्य और फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर यह हत्या का मामला सिद्ध होता है। जांच के प्रारंभिक चरण में अनंत सिंह सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।”

 

उन्होंने कहा कि 80 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा रही है और इस घटना से संबंधित चार एफआईआर दर्ज की गई हैं।

आधी रात की कार्रवाई : बेढ़ना गांव से गिरफ्तारी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, अनंत सिंह को पटना ग्रामीण क्षेत्र के बेढ़ना गांव से देर रात एक विशेष टीम ने गिरफ्तार किया। सुरक्षा कारणों से उन्हें गुप्त स्थान पर रखा गया है। पुलिस ने उनके निवास और सहयोगियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की है।

जांच सीआईडी के हवाले, चुनाव आयोग सतर्क

राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी है। साथ ही, चुनाव आयोग ने पटना जिला प्रशासन से 48 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने निष्पक्षता के मद्देनज़र दो पुलिस अधिकारियों का तबादला भी कर दिया है।

पटना के जिलाधिकारी एसएम थियागराजन ने कहा कि,

> “चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के पहलू पर भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। प्रशासन पूरी निष्पक्षता से कार्यवाही कर रहा है।”

राजनीतिक हलचल : पुराने जख्म फिर हरे

मोकामा इलाका दशकों से जातीय और आपराधिक वर्चस्व की राजनीति का गढ़ माना जाता है। यहां अनंत सिंह और यादव समाज के नेताओं के बीच लंबे समय से राजनीतिक टकराव रहा है।
दुलारचंद यादव कभी अनंत सिंह के करीबी माने जाते थे, लेकिन बाद में वे विरोधी गुट में शामिल हो गए। इस पृष्ठभूमि ने हत्या को सियासी प्रतिशोध की शक्ल दे दी है।

राजनीतिक दलों ने घटना की निंदा करते हुए चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की है। जन सुराज पार्टी ने आरोप लगाया है कि सत्ता पक्ष के प्रत्याशी के खिलाफ कार्रवाई दबाव में की जा रही है, जबकि जेडीयू ने कहा है कि “कानून अपना काम कर रहा है।”

ग्रामीणों में भय, पुलिस तैनाती बढ़ाई गई

घटना के बाद से ताल, औंटा और बख्तियारपुर इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए RAF और जिला पुलिस की संयुक्त गश्त जारी है।

चुनावी समीकरणों पर असर

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस हत्या ने मोकामा सीट पर जातीय समीकरण बदल दिए हैं। यादव और धनुक समुदाय की सहानुभूति अब जन सुराज उम्मीदवार की ओर झुक सकती है, जबकि जेडीयू को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

राजनीतिक रूप से यह घटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के लिए चुनावी सिरदर्द बन गई है, क्योंकि अनंत सिंह पहले से ही कई आपराधिक मामलों में विवादित रहे हैं।

मोकामा का यह मामला बिहार की राजनीति में अपराध और सत्ता के गठजोड़ पर एक बार फिर बहस छेड़ गया है। जांच का परिणाम चाहे जो हो, लेकिन इस घटना ने बिहार की चुनावी राजनीति की पुरानी परंपरा – “बाहुबल और मतबल के संघर्ष” – को फिर उजागर कर दिया है।

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