
भोपुरा में सुबह-सुबह सिलेंडरों से लदे ट्रक में भयंकर आग लगी है। टीला मोड़ स्थित तीनों पेट्रोलियम कंपनियां हो सकती हैं लोनी क्षेत्र के लिए घातक -मदन भैया विधायक
गाजियाबाद। भोपुरा गांव के निकट सिलेंडरों से लदे ट्रक में लगी भयानक आग। अफरा – तफरी का माहौल। अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली है। भारी धमाकों के साथ फट रहे हैं गैस सिलेंडर। हालांकि अभी भोपुरा के निकट सिलेंडर लगे ट्रक में आग लगने के कारणों की सही से जानकारी नहीं मिली है। दमकल कर्मी, प्रशासनिक अधिकारी व भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद है । आसपास के घरों को खाली कराया गया है। टीला मोड़ स्थित तीनों पेट्रोलियम कंपनियां में सुरक्षा मानकों की लापरवाही से इस क्षेत्र में बसी घनी आबादी के लिए कभी भी बड़ा हादसा संभावित है। जयपुर में हुई घटना के बाद इस संबंध में संबंधित उच्च अधिकारियों को लिखित पत्र द्वारा अवगत भी कराया जा चुका है। लेकिन टीला मोड़ स्थित तीनों पेट्रोलियम कंपनियों में किसी बड़े हादसे की संभावना से कतई इंकार नहीं किया जा सकता जिससे इस घनी आबादी वाले क्षेत्र में बहुत बड़े स्तर पर जन धन की हानि हो सकती है। खतौली विधायक मदन भैया ने गत 2 जनवरी को इस विषय में चिंता जाहिर करते हुए लिखे गए थे पत्र। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस.पुरी को लिखे गए पत्र में खतौली विधायक द्वारा टीला मोड़ स्थित भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं इंडियन मिल कॉरपोरेशन लिमिटेड नामक तीनों कंपनियों द्वारा सुरक्षा की मानकों में बरती जा रही घोर लापरवाही का उल्लेख किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि पेट्रोलियम कंपनियों की लापरवाही की वजह से अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाला लोनी क्षेत्र है बारूद के ढेर पर।
पेट्रोलियम एवं गैस पाइप लाइनों की निगरानी भी नहीं हो रही है सुरक्षा मानकों के अनुसार
जयपुर हाईवे पर पेट्रोल टैंकर फटने की वजह से हुए विभत्स अग्नि कांड के बाद से लोनी क्षेत्र के वो वाशिंदे बहुत ही भय के साये में हैं जो लोनी के टीला मोड़ स्थित भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड कम्पनियों के इर्द-गिर्द रहते हैं। आपको अवगत कराना चाहूंगा कि जनपद गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व अत्यधिक है। इन कंपनियों के आसपास लगभग 35 से 40 लाख की बड़ी आबादी रहती है। यह तीनों पेट्रोलियम कंपनियां देश की राजधानी दिल्ली से सटी हुई है। इसके आसपास घनी आबादी के साथ-साथ कुछ ही एअर डिस्टेंस पर हिंडन एयर फोर्स स्टेशन और हवाई अड्डा भी स्थित है। नवरत्न की श्रेणी में शुमार भारत सरकार की यह तीनों कंपनियां गाजियाबाद-लोनी मुख्य मार्ग पर स्थित हैं। इन कंपनियों से गैस और पेट्रोल से भरे टैंकरों की निकासी सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की वजह से बहुत ही रिस्की है, क्योंकि जब इन कंपनियों से तेल से भरे टैंकर और गैस सिलेंडर से लदे ट्रक निकल कर अत्यधिक यातायात वाहनों के आवागमन वाले गाजियाबाद-लोनी मुख्य मार्ग पर चढ़ते हैं तो तीव्र गति से गुजरते वाहनों से टकराने की प्रबल संभावना बनी रहती है जो सुरक्षा मानकों का खुला उल्लंघन नजर आता है। लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों की तरफ से इस तरह की संभावित दुर्घटनाओं से बचाव हेतु सुरक्षा गार्ड लगाने जैसे कोई इंतजाम नहीं किए गये हैं। इसके अतिरिक्त पेट्रोलियम टैंक लॉरी/टैंकर के सेफ्टी फिटिंग्स के डिजाइन और मैटल कंटेनर के मामले में पेट्रोलियम नियम 2002 (नियम 63 का 4) का प्रॉपर अनुपालन न किए जाने की भी सूचनाएं प्राप्त होती रहती हैं। इन सब से भी ज्यादा घातक और संवेदनशील वह पेट्रोलियम टैंक लॉरी/टैंकर हैं जो लावारिसों की तरह सड़क किनारे अथवा इधर-उधर खड़े रहते हैं। जो बड़ी भीषण दुर्घटनाओं को एक तरह से खुला निमंत्रण देते रहते हैं। लेकिन इन कंपनियों के अधिकारी सुरक्षा मानकों में खुली लापरवाही बरतकर इस क्षेत्र के लोगों को मौत के मुंह में धकेलने पर उतारू हैं। जोकि अति संवेदनशील मामला है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को फ्लैश फायर से बचाव हेतु ज्वाला प्रतिरोधी वस्त्रों के चयन,आपूर्ति और रखरखाव में भी निजी स्वार्थवश एनएफपीए 2112 के तय मानकों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। यहां तक कि यह तीनों कंपनियां श्रमिक नियमों (लेबर लॉज) का खुला उल्लंघन कर रही हैं। जिस संबंध में मैंने पहले भी पत्र लिखा था लेकिन अधिकारियों के रवैया में कोई बदलाव नहीं है क्योंकि निजी स्वार्थ वश अनियमिताएं बरती जा रही हैं। आपको यह अवगत कराना भी अत्यंत अनिवार्य है कि इन तीनों कंपनियों को पेट्रोलियम एवं गैस आपूर्ति करने वाली पाइप लाइनों को संबंधित संचालकों द्वारा नियमानुसार पाइप लाइनों के आसपास आबादी की संघनता पर नजर नहीं रखी जा रही है। यहां तक कि पाइप लाइनों की सीमा सुरक्षा को समायोजित नहीं किया जा रहा है। जिस वजह से अतिक्रमण की घटनाओं की वजह से पाइप लाइन में गैस रिसाव से जान माल और संपत्ति का बड़ा नुकसान संभावित नजर आता है। इसके लिए नियामक एजेंसियों को अतिक्रमण के मामलों को आईडेंटिफाई किया जाना चाहिए। क्योंकि फ्रैक ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार औसतन हर चार दिन में कहीं ना कहीं एक पाइप लाइन में आग लग जाती है और हर 11 दिन में विस्फोट होता है। रिपोर्ट के अनुसार हर 5 दिन में कोई घायल और हर 26 दिन में कोई मौत हो जाती है। इसलिए इस तरह की दुर्घटनाओं से बचाव के लिए पाइप लाइनों की निगरानी हेतु उपग्रह इमेजरी तकनीक भी नितांत आवश्यक है क्योंकि यह तकनीक पाइपलाइन के आसपास किसी भी असामान्य गतिविधि या परिवर्तन के बारे में सचेत कर सकती है। इसके अतिरिक्त पाइपलाइन की सुरक्षा हेतु तय मानकों के अनुसार व्यवस्था चाक चौबंद की जानी चाहिए। क्योंकि यह पाइप लाइन जनजीवन के लिए बहुत बड़ा थ्रेट हैं। गैस संचरण पाइप लाइन में टूटने और विस्फोट होने की अत्यधिक संभावना रहती है जिससे लोगों की संपत्ति को तो नुकसान पहुंचता ही है इसके अतिरिक्त इसकी सामग्री किसी नदी अथवा नहर में गिरने से पीने के पानी को प्रदूषित करने और खतरनाक वाष्प छोड़ने की प्रबल संभावना बनी रहती है जिससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।अतः गाजियाबाद के लोनी स्थित उपरोक्त तीनों पेट्रोलियम एवं गैस कंपनियों में अधिकारियों द्वारा निजी स्वार्थवश की जा रही पत्र में उल्लिखित सभी प्रकार की अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच करने का कष्ट करें। ताकि अधिकारियों के लालच की वजह से सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण इस क्षेत्र के लोगों को कोई बड़ी विस्फोटक स्थिति का सामना न करना पड़े। इसलिए पेट्रोलियम एवं गैस कंपनियों की सुरक्षा की दृष्टि से बनाए गए सभी मानकों एवं पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड के द्वारा सुरक्षा के उच्चतम मानकों को लागू करना सुनिश्चित कराने का कष्ट करें। इन कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों की हर तरह की सुरक्षा से जुड़े पहलुओं का गंभीरता से निरीक्षण कराकर सुरक्षा मानकों को शत प्रतिशत अमल में लाना सुनिश्चित कराया जाए। तीनों कंपनियां के पास सड़कों एवं खाली स्थानों पर बिना सुरक्षा इंतिजामात खड़े तेल टैंकरों एवं सिलेंडरों से लदे ट्रकों की सुरक्षा हेतु कारगर व्यवस्था की जाए और पेट्रोलियम एवं गैस पाइप लाइनों की नियमानुसार निगरानी कराना सुनिश्चित कराने का कष्ट करें। नवरत्न श्रेणी में शुमार भारत सरकार की इन कंपनियों की छवि खराब करने वाले लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध सख्त से सख्त विभागीय एवं कानून सम्मत कार्यवाही किया जाना भी सुनिश्चित किया जाए। क्योंकि अगर सुरक्षा मानकों में लापरवाही की वजह से इन कंपनियों में भविष्य में कोई दुर्घटना घटी तो इन कंपनियों में तैनात प्रशासनिक अधिकारी ही इसके लिए पूर्ण रूपेण ज़िम्मेदार होंगे। अतः सभी सुरक्षा अनुमान को की उच्च स्तरीय जांच के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को सख्त हिदायत भी देने का कष्ट करें।इसके अलावा विधायक मदन भैया द्वारा संयुक्त मुख्य विस्फोटक नियंत्रक पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन आगरा उत्तर प्रदेश को भी उपरोक्त समस्या से अवगत कराया था। लेकिन इसके बावजूद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और आज यह बड़ी दुर्घटना हो गई हालांकि गनीमत रही कि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। लेकिन आग इतनी भयंकर थी की आसपास के घरों के शीशे भी चटक गए थे।भोपुरा के निकट सिलेंडर लदे ट्रक में आग लगने से वही हुआ जिसका, अंदेशा विधायक मदन भैया द्वारा जयपुर की घटना के बाद केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री को पत्र लिखकर जताया गया था । ट्रक में भारत पेट्रोलियम के 360 सलेंडर लदे हुए थे। जिनमें से लगने से 62 में ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट से दो मकान क्षतिग्रस्त हुए , और रोड़ से गुजर रही चार गड़ियां आग की चपेट में आने से जलकर राख हो गई।