
रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
मथुरा यमुना एक्सप्रेसवे हादसा मौतों का आंकड़ा बढ़ा
13 मौतें, 60 से अधिक घायल — कोहरा, रफ्तार और लापरवाही ने ली निर्दोषों की जान
मथुरा । यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार तड़के हुआ भीषण सड़क हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या यह हाई-स्पीड मार्ग यात्रियों के लिए सुरक्षित है। मथुरा जनपद क्षेत्र में हुए इस दर्दनाक हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 60 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हैं। कई घायलों की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
कोहरे में टकराए वाहन, आग ने बढ़ाई त्रासदी
प्रारंभिक जांच के अनुसार, घने कोहरे के कारण दृश्यता अत्यंत कम थी। इसी दौरान तेज रफ्तार में चल रही आठ बसें और तीन कारें आपस में टकरा गईं। टक्कर के बाद कई वाहनों में आग लग गई, जिससे अफरा-तफरी मच गई। कुछ यात्री आग की चपेट में आ गए और उन्हें बाहर निकलने का अवसर नहीं मिल सका।
डीएनए से होगी पहचान, अस्पतालों में जूझ रहे घायल
प्रशासन के मुताबिक, कई शव बुरी तरह झुलस जाने के कारण पहचान योग्य नहीं हैं, जिनकी डीएनए जांच से शिनाख्त कराई जाएगी। घायलों को मथुरा, वृंदावन और आगरा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने आपातकालीन सेवाएं सक्रिय कर दी हैं।
पुरानी घटनाओं से तुलना: चेतावनियों के बाद भी नहीं सुधरे हालात
यमुना एक्सप्रेसवे पर यह पहला हादसा नहीं है—
नवंबर 2023: मथुरा के पास बस पलटने से 10 यात्रियों की मौत
जनवरी 2024: कोहरे में कार-ट्रक भिड़ंत, 7 लोगों की जान गई
अप्रैल 2025: हाई-स्पीड टक्कर में 6 मृतक, 20 घायल
इन घटनाओं के बावजूद कोहरे में रफ्तार नियंत्रण, चेतावनी संकेत और निगरानी व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सका। नतीजतन, एक्सप्रेसवे बार-बार मौत के गलियारे में तब्दील हो रहा है।
गंभीर सवाल: हादसे क्यों नहीं रुक रहे?
विशेषज्ञों और प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, हादसों के पीछे प्रमुख कारण—
कोहरे के समय वाहनों की गति पर सख्त नियंत्रण का अभाव
स्पीड मॉनिटरिंग और कैमरा सिस्टम की ढिलाई
चेतावनी बोर्ड और स्वचालित ट्रैफिक अलर्ट सिस्टम की कमी
चालकों की लापरवाही और ओवरस्पीडिंग
यातायात विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक तकनीकी नियंत्रण और सख्त प्रवर्तन नहीं होगा, ऐसे हादसे थमना मुश्किल हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया और सहायता
मुख्यमंत्री ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। वहीं, मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए गए हैं ताकि दुर्घटना के वास्तविक कारण सामने आ सकें।
निष्कर्ष: चेतावनी के बाद भी अनदेखी
मथुरा रोड हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता का उदाहरण है। जब तक यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे के मौसम में विशेष प्रोटोकॉल, रफ्तार सीमा का कठोर पालन और जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक हर सर्दी एक नई त्रासदी लेकर आती रहेगी।
यह हादसा प्रशासन और परिवहन व्यवस्था के लिए अंतिम चेतावनी है—
अन्यथा, अगली खबर फिर मौतों की गिनती के साथ लिखी जाएगी।
