**अजन्ता कंपनी का ज़हरीला धुआँ बना ग्रामीणों के जीवन पर कहर
साँसें दूषित, खेत बर्बाद, बच्चे बीमार — गाँव में फैल रहा धीमा ज़हर**
लोनी/गाजियाबाद। रविन्द्र बंसल/जन वाणी न्यूज़
ग्राम अगरौला गांव के ऊपर अजन्ता कंपनी का जहरीला धुआँ किसी अभिशाप की तरह तैर रहा है। गाँव के घर, खेत, तालाब, पशुधन, बच्चे और बुजुर्ग—सब इस धुएँ के घेराव में कैद हो गए हैं। जिस हवा में साँस लेना जीवन माना जाता है, वही हवा अब मौत का दूत बनी घूम रही है। किसान नेता सत्येंद्र गुर्जर एवं ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भेजे गए पत्र में साफ कहा है— “हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं, खेत बर्बाद हो रहे हैं, और हम लगातार ज़हर पीने को मजबूर हैं।”
धुआँ इतना घना कि सुबह–शाम का फर्क मिट गया
गाँव वालों का कहना है कि कंपनी से उठने वाला धुआँ इतना घना और काला है कि कई बार सुबह–शाम का फर्क तक समझ नहीं आता। हवा में भरी महीन राख और रासायनिक कण दूर-दूर तक फैलकर हर ओर परत जमा देते हैं।
घर की खिड़कियों पर राख, पानी के बर्तनों में राख, खेतों पर राख…
गाँव का वातावरण इस कदर दूषित हो चुका है कि लोग दरवाज़े खोलने से भी डरने लगे हैं।
बच्चों में खांसी, बुजुर्गों में दम घुटना — बीमारी की जड़ बनी फैक्टरी
ग्रामीणों के मुताबिक—
बच्चे लगातार खाँस रहे हैं
बुजुर्गों के लिए साँस लेना भारी हो गया है
महिलाओं में सिरदर्द और आँखों में जलन बढ़ गई है
रातभर दम घुटने से नींद टूटती रहती है
कई लोग तेज एलर्जी, गले में जलन और सीने में भारीपन की शिकायत कर रहे हैं। गाँव के लगभग हर दूसरे घर में कोई न कोई प्रदूषणजनित बीमारी से जूझ रहा है।
कंपनी के अन्दर धुआँ-नियंत्रण यंत्र नदारद — मानकों का खुला उल्लंघन
शिकायतपत्र में दावा किया गया है कि कंपनी:
बिना किसी प्रभावी फिल्टर के धुआँ उगल रही है
कचरा खुले में जला रही है
रासायनिक अवशेषों को हवा में उड़ा रही है
पर्यावरणीय नियमों को धता बता रही है
गाँव वालों का सवाल है— “जब कानून साफ कहता है कि ग्रामीण आबादी को नुकसान पहुँचाने वाली इकाई पर रोक लगनी चाहिए, तो यह धुआँ कौन रोक रहा है?”
कानूनी हथियारों का भी उल्लेख — प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की माँग
शिकायत में धारा 133 दंड प्रक्रिया संहिता, बीएनएस की धारा 152 और पर्यावरण संरक्षण कानून का हवाला देते हुए माँग की गई है कि कंपनी के विरुद्ध तत्काल कठोर कार्रवाई हो।
ग्रामीणों ने कहा—
“कानून कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर दिखाई देना चाहिए। हमारी पीढ़ियाँ बीमार हो रही हैं। कार्रवाई नहीं हुई तो हालात विस्फोटक हो जाएँगे।”
खेतों पर राख की बरसात, पैदावार पर संकट
गाँव के किसानों ने बताया कि—
राख की परत से फसलें झुलस रही हैं
पत्तियों पर काली परत जम रही है
सब्जियों की गुणवत्ता पर भारी प्रभाव पड़ रहा है
मवेशी तक दूषित चारा खाने को मजबूर हैं
यह केवल स्वास्थ्य का संकट नहीं, बल्कि खेती और अर्थव्यवस्था पर सीधा हमला है।
ग्रामवासियों में उबाल — “हमें जीवन चाहिए, ज़हर नहीं”
गाँव में आक्रोश फूट पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है—
“कोई विशेष सुविधा नहीं माँग रहे, केवल साफ हवा और सुरक्षित जीवन की माँग है। यदि प्रशासन नहीं जागा तो पूरा इलाका प्रदूषण की चपेट में बीमार होकर टूट जाएगा।”
जिलाधिकारी से तत्काल निरीक्षण और कठोर दण्ड की माँग
ग्रामीणों ने प्रशासन से माँग की कि—
संयुक्त टीम भेजकर फैक्टरी की मशीनों और प्रदूषण-नियंत्रण व्यवस्था की जाँच हो
निर्धारित मानकों का पालन न मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाए
गाँव के स्वास्थ्य और पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें किसी राहत का नहीं, जीवन की सुरक्षा का अधिकार चाहिए।
