धनसिंह कोतवाल के संघर्ष और शहादत को नमन — निठोरा, लोनी में संगोष्ठी की 1857 की क्रांति के महानायक धनसिंह कोतवाल के जन्मोत्सव पर उनके साहस, नेतृत्व और बलिदान को समर्पित ऐतिहासिक विमर्श

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़ 

धनसिंह कोतवाल के संघर्ष और शहादत को नमन — निठोरा, लोनी में संगोष्ठी की 1857 की क्रांति के महानायक धनसिंह कोतवाल के जन्मोत्सव पर उनके साहस, नेतृत्व और बलिदान को समर्पित ऐतिहासिक विमर्श

गाजियाबाद, लोनी / 21 नवंबर 2025

क्रांतिनायक धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान, मेरठ के तत्वावधान में आज ग्राम निठोरा, लोनी में धनसिंह कोतवाल जी के जन्मोत्सव पर उनकी संघर्षगाथा और शहादत को नमन करने हेतु एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, शोधार्थी, सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री चेनपाल सिंह ने की, जबकि संयोजक कर्नल अतर सिंह रहे।
मुख्यवक्ता के रूप में धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान के चेयरमैन तस्वीर सिंह चपराना उपस्थित हुए।
मुख्य अतिथि लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर रहे।
अति विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला पंचायत सदस्य ईश्वर मावी, मनुपाल बंसल, कर्नल मोजीराम तथा भूडबराल के मुखिया जयचंद शामिल हुए।

धनसिंह कोतवाल — युद्धनीति, नेतृत्व और क्रांति का प्रतीक

मुख्यवक्ता तस्वीर सिंह चपराना ने कहा कि 1814 में 27 नवंबर को जन्मे धनसिंह कोतवाल 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वास्तविक अग्रदूत थे।
उन्होंने बताया कि कोतवाल जी न केवल एक कुशल युद्धनीति निर्माता थे, बल्कि संगठन क्षमता और नेतृत्व दोनों में अद्वितीय थे।

उन्होंने कहा—
“10 मई 1857 की मेरठ क्रांति के नेतृत्वकर्ता धनसिंह कोतवाल ही थे, जिन्होंने ‘मारो फिरंगी’ का नारा देकर अंग्रेजी शासन की जड़ों में भूचाल ला दिया था।”

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार ने धनसिंह कोतवाल जी के सम्मान में कुछ कदम अवश्य उठाए हैं, परंतु जब तक—

उनका नाम पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाता,

पुलिस सिग्नेचर भवन में उनकी प्रतिमा का अनावरण नहीं होता,

सरकारी कैलेंडर में उनके नाम से वार्षिक कार्यक्रम घोषित नहीं होता,

तब तक उनके बलिदान को देने योग्य वास्तविक सम्मान अधूरा रहेगा।

विधायक नंदकिशोर गुर्जर का घोषणापत्र

मुख्य अतिथि लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि धनसिंह कोतवाल जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने घोषणा की—

मेरी विधानसभा लोनी में एक सड़क का नामकरण धनसिंह कोतवाल जी के नाम पर किया जाएगा।”

उन्होंने कहा कि धनसिंह कोतवाल ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना अंग्रेजों से निर्णायक संघर्ष किया।
विधायक ने जोर देते हुए कहा—
“धनसिंह कोतवाल का संघर्ष किसी भी क्रांतिकारी से कम नहीं था, बल्कि कई मायनों में वे आधुनिक युग के महापुरुषों से भी ऊपर हैं।”

उन्होंने दुख व्यक्त किया कि अभी तक कोतवाल जी को वह राष्ट्रीय सम्मान नहीं मिला है, जिसके वे वास्तविक हकदार हैं।

भूडबराल की भूमिका — ऐतिहासिक कड़ी

अति विशिष्ट अतिथि जयचंद मुखिया ने 1857 की उस ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख किया जो मेरठ से शुरू होकर गगोल, गूमि, भूडबराल, सीकरी होते हुए दिल्ली तक पहुंची थी।

उन्होंने कहा—
“मुझे गर्व है कि मेरे पूर्वजों ने धनसिंह कोतवाल जी के नेतृत्व में 1857 की क्रांति में सक्रिय सहयोग दिया और अंग्रेजों को खदेड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”

 

अन्य वक्ताओं के विचार

संगोष्ठी में कर्नल अतर सिंह, कर्नल मोजीराम, जिला पंचायत सदस्य ईश्वर मावी, भाजपा जिला अध्यक्ष चेनपाल सिंह तथा पूर्व जिलाध्यक्ष सतपाल सिंह ने भी धनसिंह कोतवाल के व्यक्तित्व और वीरता पर विस्तृत विचार रखे।

कार्यक्रम का संचालन संयोजक इंजीनियर जितेंद्र कुमार ने किया।

उपस्थिति

आज की संगोष्ठी में प्रमुख रूप से:
राजपाल सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, समयवीर जी, राममेहर जी, मैनपाल जी, राजेंद्र प्रमुख, सत्येंद्र प्रधान, शोध संस्थान की सोशल मीडिया प्रमुख ज्योति और कार्यक्रम प्रबंधक अंशिका उपस्थित रहीं।

 

यह कार्यक्रम केवल एक संगोष्ठी ही नहीं, बल्कि 1857 के महानायक धनसिंह कोतवाल जी के प्रति देश के ऋण को स्मरण करने और उनकी शहादत को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने का एक प्रयास था।
सभी वक्ताओं का मुख्य संदेश रहा कि—

धनसिंह कोतवाल का बलिदान भारत की स्वतंत्रता का पहला आधारस्तंभ था, और उनके योगदान को राष्ट्रीय इतिहास में उचित स्थान मिलना ही चाहिए।

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