रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
यूपी में अप्रैल से जुलाई के बीच हो सकते हैं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव
बैलेट पेपर से होगा मतदान, प्रत्याशी खर्च सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सबसे बड़ी परीक्षा यानी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। प्राप्त संकेतों के अनुसार, यह चुनाव अप्रैल से जुलाई 2026 के बीच कराए जाने की संभावना है। निर्वाचन आयोग और प्रशासन ने प्रारंभिक स्तर पर बैलेट पेपर छपवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसी बीच यह चर्चा भी तेज है कि इस बार प्रत्याशी पहले की तुलना में दोगुना चुनाव खर्च कर सकेंगे — हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है।
त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था — लोकतंत्र की जड़ें
उत्तर प्रदेश में पंचायत राज व्यवस्था तीन स्तरों पर संचालित होती है —
ग्राम पंचायत — प्रत्येक गाँव में प्रधान और सदस्य चुने जाते हैं।
क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक स्तर) — कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर क्षेत्र पंचायत का गठन होता है।
जिला पंचायत — जिले के सभी ब्लॉकों का प्रतिनिधित्व करने वाला निकाय।
पंचायतें ग्रामीण विकास, योजना क्रियान्वयन, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, सिंचाई व अन्य बुनियादी कार्यों में सबसे अहम भूमिका निभाती हैं।
कितने पदों पर होगा चुनाव
2021 के पंचायत चुनावों के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग —
58,189 ग्राम पंचायतें,
824 क्षेत्र पंचायतें,
75 जिला पंचायतें थीं।
इन निकायों में —
7,32,563 ग्राम पंचायत सदस्य,
75,855 क्षेत्र पंचायत सदस्य,
तथा 3,051 जिला पंचायत सदस्य पद पर चुनाव संपन्न हुए थे।
नई जनसंख्या और सीमा पुनर्गठन के बाद संख्या में आंशिक परिवर्तन संभव है, जिसकी अधिसूचना निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की जाएगी।
बैलेट पेपर से होगा मतदान
राज्य निर्वाचन आयोग ने 2021 की भाँति इस बार भी बैलेट पेपर से मतदान कराने का निर्णय लिया है। आयोग के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की तुलना में बैलेट प्रणाली अधिक व्यावहारिक और सुलभ है।
चुनाव चार चरणों में कराए जाने की संभावना जताई जा रही है, ताकि प्रत्येक जिले में सुचारु मतदान और मतगणना हो सके।
प्रशासन और आयोग की तैयारियाँ तेज
चुनाव को देखते हुए आयोग ने
मतदाता सूची पुनरीक्षण,
वार्ड पुनर्गठन,
मतदान केंद्रों की पहचान,
तथा चुनाव कर्मचारियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
राज्य स्तर से लेकर जिला और ब्लॉक स्तर तक अधिकारियों की बैठकें शुरू हो चुकी हैं। बैलेट पेपर छपाई का कार्य प्रारंभ हो गया है, जिसे चरणवार जिलों में भेजा जाएगा।
प्रत्याशी खर्च सीमा में बढ़ोतरी की चर्चा
चुनाव खर्च सीमा को लेकर शासन स्तर पर प्रस्ताव विचाराधीन बताया जा रहा है। वर्तमान चर्चाओं के अनुसार, प्रत्याशी को पूर्व निर्धारित सीमा से दोगुना खर्च करने की अनुमति दी जा सकती है।
हालांकि, इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक अधिसूचना या शासनादेश जारी नहीं हुआ है। आयोग का कहना है कि खर्च सीमा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमावली तैयार की जा रही है।
मुख्य चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ
ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाता जागरूकता बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
मतदान केंद्रों और बैलेट सामग्री की समयबद्ध उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
प्रत्याशियों के खर्च की निगरानी और आचार संहिता पालन के लिए मजबूत तंत्र आवश्यक होगा।
मतगणना प्रक्रिया को पारदर्शी और त्रुटिहीन बनाना प्रशासन की प्राथमिकता रहेगी।
ग्राम्य लोकतंत्र की परीक्षा
पंचायत चुनाव ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे मजबूत कड़ी हैं। इनसे न केवल स्थानीय शासन-व्यवस्था को सशक्त किया जाता है, बल्कि जनता को विकास में प्रत्यक्ष भागीदारी का अवसर मिलता है।
यदि प्रशासन और निर्वाचन आयोग समयबद्ध तैयारी करते हैं, तो आगामी पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी हो सकते हैं।
निष्कर्ष
अप्रैल से जुलाई के बीच प्रस्तावित यह चुनाव उत्तर प्रदेश के ग्रामीण ढांचे में लोकतंत्र की नयी ऊर्जा भरने वाला साबित हो सकता है।
हालांकि प्रत्याशी खर्च सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय आने तक स्थिति स्पष्ट नहीं है।
फिलहाल आयोग और प्रशासन की तैयारियाँ यही संकेत देती हैं कि राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सबसे बड़ा पर्व एक बार फिर निकट है।
