लोनी की ‘लाइफ-लाइन’ दिल्ली-सहारनपुर रोड जलभराव व गड्ढों में दबी — नगरपालिका अध्यक्ष बनाम विधायक, भाजपा भी दो खेमों में बंटी; थाने तक पहुंचे आरोप-प्रत्यारोप

0
144
Oplus_131072

रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़

लोनी की ‘लाइफ-लाइन’ दिल्ली-सहारनपुर रोड जलभराव व गड्ढों में दबी —
नगरपालिका अध्यक्ष बनाम विधायक, भाजपा भी दो खेमों में बंटी; थाने तक पहुंचे आरोप-प्रत्यारोप

बरसात के बाद जर्जर सड़क व जल भराव ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया — वाहन पलटने, माल व पैसों का नुकसान, और मरम्मत पर सैद्धांतिक मंजूरी के बावजूद राजनीति ने लिया तीखा मोड़। दोनों पक्षों ने मीडिया के समक्ष लिखित तहरीर व वीडियो जारी किए।

लोनी। विधानसभा क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली दिल्ली-सहारनपुर मार्ग की दशा बरसात के बाद भी जस की तस बनी हुई है। रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे और बगैर बरसात के भी जल भराव से न सिर्फ आवागमन ठप कर दिया है बल्कि समय-समय पर वाहन पलटने व लोगों के चोटिल होने की घटनाएँ भी बढती जा रही हैं; स्थानीय व्यापारियों और मार्ग से गुज़रने वाले राहगीरों को करोड़ों के आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या के चलते इलाके में जनता की नाराज़गी व सार्वजनिक आक्रोश तेज हो गया है।

स्थानीय निवासियों और राहगीरों का कहना है कि गड्ढों में पानी भरने से ऑटो, ई-रिक्शा और दोपहिया वाहन रोज गिरते हैं और सामान बर्बाद होता है; कुछ दिन पहले एक ई-रिक्शा पलटकर कागज के बंडल पानी में गिरने से भारी आर्थिक नुकसान हुआ—यह सब जनजीवन की गंभीर कठिनाइयों को बढ़ा रहा है। जल भराव एवं सड़क में बने गड्ढों के कारण एम्बुलेंस तक नहीं निकल पा रही हैं जिससे रोगियों का जीवन संकट में पड़ जात है।

विधानसभा स्तर के प्रतिनिधि और नगरपालिका प्रशासन का आरोप-प्रत्याश्प (ब्‍‌लेम-गेम)

सड़क की इस दुर्दशा को लेकर बीते हफ्तों में नगर पालिका और विधायक के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप सार्वजनिक हुए हैं। विधायक ने नगर पालिका पर लापरवाही और समयबद्ध मरम्मत न कराने का आरोप लगाया है, जबकि नगरपालिका प्रतिनिधि और कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं ने विधायक पर काम रोकने, बजटीय मामलों में बाधा डालने और मतभेदों के चलते विकास कार्य थामे रखने का आरोप लगाया है। घटनाक्रम अब इतनी गंभीरता तक पहुँच चुका है कि दोनों पक्षों ने थाने में लिखित तहरीरें दे दीं और मीडिया के सामने अपनी-अपनी बाइट देते हुए एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

भाजपा के भीतर उभरती खेमेबंदी — नाम और दावे

लोकल राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक भाजपा के दो खेमे सामने आ चुके हैं — एक खेमे में पूर्व जिला अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता तथा कुछ पार्षद-कारकुन शामिल होने का दावा किया जा रहा है, जबकि दूसरे खेमे में विधायक समर्थक समूह और उनके नजदीकी नेता हैं। दोनों तरफ के लोग एक-दूसरे पर विकास कार्य रोकने, सार्वजनिक संसाधनों की अनदेखी करने व राजनीतिक फायदाखोरी के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इन आरोपों-प्रत्यारोपों की पुष्टि के लिए दोनों ओर के वीडियो और लिखित तहरीर थाने में दर्ज करवाए गए तथा मीडिया को दिखाए गए हैं। सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

प्रशासन की नाकामी नहीं, प्राथमिक मंजूरी पर ठोस कदम बाकी
एक ही समय में प्रशासनिक स्तर पर इस मार्ग की मरम्मत हेतु राज्य सरकार ने सैद्धांतिक (इन-प्रिन्सिपल) मंजूरी भी दी है और मरम्मत के लिए लगभग ₹32 करोड़ का उल्लेख सार्वजनिक हुआ है; शासन ने मार्ग के सुदृढ़ीकरण के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का संकेत दिया है, मगर भूमि-स्वामित्व, फंड आवंटन के अंतिम आदेश व टेंडरिंग प्रक्रिया अभी शेष है—निविदाएँ जारी होने और काम शुरू होने से पहले अभी कुछ औपचारिकताएँ पूरी करनी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सैद्धांतिक मंजूरी के बावजूद सड़क पर तात्कालिक मरम्मत व ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से रोज़ाना की समस्याएँ बरकरार हैं। और सड़क बगैर बारिश के भी पूरी तरह से जल मग्न है।

थाने तक पहुँचा मामला — किसने क्या कहा
स्थिति तब और गर्मी तब हुई जब दोनों पक्षों ने थाने में जाकर आरोप-प्रत्यारोप की लिखित तहरीर जमा करवाईं और मीडिया के समक्ष बयान दिए। कुछ स्थानीय समाचार रिपोर्टों के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक को बिना अनुमति प्रेस वार्ता करने पर नोटिस भी जारी किया गया था, जिससे पार्टी के आंतरिक मतभेद और उभर कर सामने आए। स्थानीय विधायक ने भी नगर पालिका अधिकारियों पर बिना बारिश के जलभराव की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कड़ी टिप्पणी की। पुलिस ने फिलहाल दोनों पक्षों की तहरीरों और वीडियो की रिकॉर्डिंग प्राप्त कर ली है और मामले की शुरुआती छानबीन चल रही है। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष ने थाने में दी गई तहरीर और वीडियो बाइट में अपनी हत्या तक की आशंका कराने की आशंका प्रकट की है,तो दूसरी ओर विधायक खेमे के वरिष्ठ नेता ने साजिश के तहत स्वयं विधायक को बदनाम करने के लिए नाला तोड़वाकर सड़क पर पानी भरने के गंभीर आरोप लगाए हैं, ताकि सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू ना हो सके।

नागरिकों की व्यथा और आग्रह — तात्कालिक उपायों की मांग
राहगीर, दुकानदार और स्कूल-कर्मी एक स्वर में तात्कालिक मरम्मत, ड्रेनेज की सफाई और गड्ढों की तुर्की भराई की माँग कर रहे हैं। वे कहते हैं कि जब तक संपूर्ण और दीर्घकालिक मरम्मत का काम शुरू नहीं होगा, तब तक कम से कम बेहतर संधारण, साइनबोर्ड, दिवालीकरण व रात्री प्रकाश व्यवस्था तथा अस्थायी समतलीकरण जरूरी हैं—नहीं तो लोग रोजाना दुर्घटना व आर्थिक हानि झेलते रहेंगे। स्थानीय ट्रेडर्स ने मुआवज़े और बीमा के अभाव को भी चिंता का विषय बताया।

राजनीति व प्रशासन: कौन कब जवाबदेह? 
नगर पालिका अध्यक्ष-विधायक विवाद का मूल कारण संबंधित विभागों के बीच जिम्मेदारी के बंटवारे और फंडिंग-प्रक्रियाओं का उलझना प्रतीत होता है। जहां राज्य स्तर पर सैद्धांतिक मंजूरी मिली है और मरम्मत के लिये राशि का जिक्र हुआ है, वहीँ स्थानीय स्तर पर कार्य शुरू कराने के लिये जिम्मेदार निकाय (नगर पालिका/पीडब्ल्यूडी/राज्य प्रशासन) के समन्वय में देरी और राजनीतिक रस्साकशी ने समस्या को हवा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि शीघ्र तकनीकी सर्वे, प्राथमिक ड्रेनेज सुधार व अस्थायी समतलीकरण तुरंत कराये जाने चाहिए, जबकि नीतिगत स्तर पर परियोजना शीघ्र निपटाने के लिये स्पष्ट समयसीमा निर्धारित कर दी जानी चाहिए।

अगला कदम क्या होना चाहिए — दबाव व पारदर्शिता जरूरी
स्थानीय नागरिक और व्यापार समुदाय मांग कर रहे हैं कि दोनों राजनीतिक दल और नगर पालिका सार्वजनिक तौर पर एक संयुक्त वक्तव्य जारी करें, जिसमें मरम्मत के चरण, संभावित समयसीमा और अस्थायी राहत उपायों का उल्लेख हो। साथ ही पुलिस को भी पूछा जा रहा है कि दोनों पक्षों की जो तहरीरें आई हैं, उनकी निष्पक्ष जांच कर सार्वजनिक रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए ताकि मामला सियासी बयानबाजी से हटकर तकनीकी और प्रशासनिक निर्णय-प्रक्रिया की दिशा में अग्रसर हो। हालाँकि राज्य से मिली सैद्धांतिक मंजूरी उम्मीद जगाती है, पर स्थानीय लोगों की रोज़मर्रा की पीड़ा का त्वरित निवारण आवश्यक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here