मरे हुए सांप भी काट सकते हैं! — असम की तीन घटनाओं ने चौंकाया वैज्ञानिकों को
2022–23 में असम में तीन अलग-अलग मामलों में मृत सांपों ने इंसानों को काटा, अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा — वैज्ञानिक अध्ययन में हुआ खुलासा, मृत्यु के बाद भी सक्रिय रहता है विष
🔹 रिपोर्ट: संवाददाता विशेष रविन्द्र बंसल| गुवाहाटी / विज्ञान डेस्क
असम से आई तीन अजीबोगरीब घटनाओं ने न केवल ग्रामीणों को बल्कि वैज्ञानिक समुदाय को भी चौंका दिया है।
इन घटनाओं में मारे गए विषैले सांप — मोनोक्ल्ड कोबरा और ब्लैक क्रेट — ने घंटों बाद भी इंसानों को काटा, और काटने से विष का असर हुआ।
वैज्ञानिकों ने इसे अब “पोस्ट मॉर्टम एनवेनोमिंग” (Post-mortem Envenoming) यानी मृत सांप के काटने से विष चढ़ना नाम दिया है।
🐍 तीनों घटनाएँ – कब और कैसे हुईं
⚫ पहला मामला — सिर काटे गए कॉबरा ने डसा अंगूठा
असम के शिवसागर ज़िले के एक किसान ने खेत में दिखे मोनोक्ल्ड कॉबरा को मार दिया और सिर काटकर फेंकने लगा।
जैसे ही उसने सिर उठाया, मृत सांप का सिर उसके अंगूठे पर चिपका और डस लिया।
कुछ ही मिनटों में सूजन, दर्द और त्वचा के काले पड़ने जैसे लक्षण दिखने लगे।
मरीज को अस्पताल पहुँचाया गया और एंटीवेनम देकर उसकी जान बचाई गई।
⚫ दूसरा मामला — ट्रैक्टर से कुचला सांप फिर भी ‘सक्रिय’
एक अन्य किसान ने अपने ट्रैक्टर से खेत में एक कॉबरा कुचल दिया।
कुछ घंटे बाद जब उसने मृत सांप के शरीर को हटाने की कोशिश की,
तो सांप के जबड़ों में हलचल हुई और उसके पैर पर हल्की काटनुमा चोट लगी।
विष के असर से सूजन और ऊतक-क्षति हुई, जिसे बाद में एंटीवेनम देकर ठीक किया गया।
⚫ तीसरा मामला — घर में मिला ब्लैक क्रेट, मौत के बाद भी काटा
एक परिवार ने अपने घर में घुसे ब्लैक क्रेट (Black Krait) को मार दिया।
शव को उठाते समय व्यक्ति के हाथ पर काटनुमा चोट लगी और
कुछ घंटों बाद उसे सांस लेने में कठिनाई और सुन्नपन महसूस हुआ।
अस्पताल जांच में पाया गया कि विष शरीर में सक्रिय था, जबकि सांप कई घंटे पहले मरा हुआ था।
🔬 वैज्ञानिक अध्ययन ने दी पुष्टि
इन घटनाओं पर असम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और जीवविज्ञानियों ने एक विस्तृत अध्ययन किया,
जिसे प्रतिष्ठित जर्नल “Frontiers in Tropical Diseases” में प्रकाशित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ –
> “मृत सांपों की विष ग्रंथियों (Venom glands) में कुछ समय तक विष सक्रिय रहता है।
जब उनके सिर या शरीर पर दबाव पड़ता है, तो विष बाहर निकलकर दांतों के ज़रिए त्वचा में प्रवेश कर सकता है।”
⚠️ क्या मरने के बाद भी ज़हर जिंदा रहता है?
हाँ।
सांप का ज़हर एक जैविक प्रोटीन मिश्रण होता है, जो घंटों तक सक्रिय रह सकता है।
मृत शरीर में भी जबड़े की मांसपेशियों में रिफ्लेक्स (Reflex Movement) संभव होती है,
इसलिए सिर काटे जाने या दबाव पड़ने पर भी जबड़ा सिकुड़ सकता है और विष निकल सकता है।
💉 चिकित्सकीय दृष्टिकोण
सभी मरीजों में स्थानीय सूजन, दर्द और नेक्रोसिस (ऊतक गलना) जैसे लक्षण देखे गए।
समय पर अस्पताल पहुँचाने और पॉलीवैलेंट एंटीवेनम देने से तीनों की जान बचाई जा सकी।
डॉक्टरों का कहना है कि मृत सांप के काटने से भी वास्तविक एनवेनोमिंग (envenoming) हो सकता है।
📢 जनता के लिए चेतावनी और सलाह
1. मरे हुए सांप को हाथ से कभी न उठाएँ।
यदि मारना पड़ा हो, तो डंडे या उपकरण से दूर हटाएँ और तुरंत वन विभाग या सांप रेस्क्यू टीम को सूचित करें।
2. काटने की स्थिति में देरी न करें।
हर सांप के काटने को मेडिकल इमरजेंसी मानें और तत्काल अस्पताल जाएँ।
3. घरेलू उपचार न करें।
चूसना, चीरा लगाना या टर्निकेट (पट्टी कसना) जैसे पुराने उपाय जानलेवा साबित हो सकते हैं।
4. घटना की सूचना स्वास्थ्य विभाग या स्थानीय प्रशासन को दें।
ताकि ऐसे दुर्लभ मामलों की वैज्ञानिक जांच हो सके।
📚 विश्व स्तर पर पहली बार दस्तावेजीकृत मामला
असम के डॉक्टरों द्वारा प्रकाशित यह अध्ययन दुनिया का पहला वैज्ञानिक रूप से दर्ज प्रमाण है
जहाँ मृत सांपों द्वारा इंसानों को काटने और विष चढ़ने की पुष्टि हुई है।
> “यह दिखाता है कि मृत्यु का अर्थ हमेशा निष्क्रियता नहीं होता —
कुछ जीवों के जैविक तंत्र मृत्यु के बाद भी थोड़ी देर तक सक्रिय रह सकते हैं।”
— डॉ. शैलेश ठाकुर, प्रमुख शोधकर्ता वैज्ञानिक निष्कर्ष (संक्षेप में):
क्रमांक तथ्य विवरण
1️⃣ सांप के मरने के बाद भी विष ग्रंथियाँ सक्रिय रह सकती हैं विष प्रोटीन तुरंत निष्क्रिय नहीं होते
2️⃣ मांसपेशियों में रिफ्लेक्स मूवमेंट रह सकते हैं जबड़ा अचानक बंद हो सकता है
3️⃣ विष दबाव या छेड़छाड़ से बाहर निकल सकता है मृत सिर से भी इंजेक्शन संभव
4️⃣ इंसानों में लक्षण जीवित काटने जैसे ही दिखे सूजन, दर्द, नेक्रोसिस
5️⃣ एंटीवेनम प्रभावी पाया गया सभी मरीज स्वस्थ हुए
🏥 WHO और भारत सरकार के दिशा-निर्देश
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों सलाह देते हैं कि
सांप के काटने का हर मामला मेडिकल इमरजेंसी है।
मरे हुए सांपों के साथ भी सावधानी और दूरी जरूरी है।
सभी राज्यों को ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
🗞️ संपादकीय टिप्पणी
> “असम की ये घटनाएँ न केवल वैज्ञानिक रूप से दुर्लभ हैं,
बल्कि ग्रामीण समाज के लिए चेतावनी भी हैं कि
मरे हुए जीव भी कभी-कभी उतने ही खतरनाक हो सकते हैं जितने जीवित।
यह प्रकृति की जटिलता का जीवंत उदाहरण है।”
📌 निष्कर्ष
👉 मृत सांप को कभी हल्के में न लें।
👉 यदि काट लिया है — तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
👉 यह अध्ययन साबित करता है कि ज़हर, जीवन और मृत्यु के बीच की रेखा कभी-कभी बहुत पतली होती।
