विद्रोह का तीसरा दिन: काठमांडू में हालात काबू में पर आक्रोश बरकरार

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रविन्द्र बंसल प्रधान / संपादक जन वाणी न्यूज़

विद्रोह का तीसरा दिन: काठमांडू में हालात काबू में पर आक्रोश बरकरार

प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफ़ा, सेना सड़कों पर, अंतरिम सरकार पर बनी सहमति की सुगबुगाहट

काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध से शुरू हुआ जन-जी आंदोलन अब तीसरे दिन भी थमता नज़र नहीं आ रहा। हालांकि राजधानी काठमांडू और ललितपुर में सेना की तैनाती के बाद हालात काफी हद तक नियंत्रण में आ गए हैं, लेकिन जनता का आक्रोश अभी भी बरकरार है।

बीते तीन दिनों की अशांति में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं। हजारों प्रदर्शनकारी अब भी सड़कों पर डटे हुए हैं और लगातार सरकार से ठोस बदलाव की मांग कर रहे हैं।

 

ओली का इस्तीफ़ा और अंतरिम नेतृत्व पर चर्चा

जनता के भारी दबाव के बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रपति को सौंप दिया है। प्रदर्शनकारियों और विपक्षी दलों की ओर से पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए आगे रखा गया है। सूत्रों का कहना है कि कार्की ने इस भूमिका के लिए सहमति जताई है।

सेना ने संभाला मोर्चा, कर्फ्यू से आंशिक शांति

राजधानी में सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। दरबार मार्ग, थमेल और पाटन जैसे संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। कई जगहों पर बुधवार रात को उपद्रवियों ने गाड़ियों और सरकारी दफ्तरों में आगज़नी की थी, लेकिन गुरुवार सुबह तक हालात कुछ शांत नज़र आए।

स्थानीय पत्रकार प्रदीप श्रेष्ठ के अनुसार, “लोग थक तो गए हैं, लेकिन उनका गुस्सा अब भी शांत नहीं हुआ। सबको लगता है कि यह केवल चेहरा बदलने का सवाल नहीं, बल्कि व्यवस्था में सुधार की लड़ाई है।”

बातचीत का सिलसिला और भविष्य की तस्वीर

राष्ट्रपति भवन में गुरुवार को प्रमुख दलों के नेताओं और आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत का पहला दौर शुरू हुआ। चर्चा का मुख्य एजेंडा

अंतरिम सरकार की रूपरेखा तय करना

आगामी चुनाव की तारीख

और आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगों पर सहमति बनाना

नेपाल की राजनीति पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सभी पक्ष सहमत हो गए तो जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन संभव है। हालांकि असली चुनौती है जनता के भरोसे को फिर से कायम करना और भ्रष्टाचार व बेरोजगारी जैसे गहरे मुद्दों पर ठोस कदम उठाना।

 

विद्रोह के तीसरे दिन की झलक

19 मौतें, सैकड़ों घायल

प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफ़ा

सेना ने काठमांडू संभाला, कई इलाकों में कर्फ्यू

प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की का नाम अंतरिम पीएम के लिए सुझाया

राष्ट्रपति भवन में दलों और युवाओं के बीच बातचीत शुरू

भारत ने नागरिकों के लिए हेल्पलाइन जारी की

संयुक्त राष्ट्र ने पुलिस कार्रवाई की जांच की मांग की

 

नेपाल का आने वाला भविष्य

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल के सामने तीन संभावित रास्ते हैं—

1. अंतरिम सरकार बने और जल्दी चुनाव हों।

2. लंबा अस्थायी शासन, जिससे जनता का आक्रोश और भड़क सकता है।

3. संवैधानिक सुधारों की पहल, जिससे देश की राजनीति में स्थायित्व आ सके।

 

फिलहाल पूरा नेपाल इंतज़ार कर रहा है कि आने वाले दिनों में कौन सी राह चुनी जाएगी।

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