
रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
यमुना का उफान: लोनी के तटवर्ती इलाकों में तबाही का खतरा — राहत-बचाव चल रहे, प्रशासन अलर्ट
5–4 सितंबर 2025 की भयंकर बरसात और बांध से छोड़े गए जल की वजह से यमुना कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है — लोनी के खादर-बदरपुर क्षेत्रों में घर और खेत प्रभावित, प्रशासन-NDRF-स्थानीय संगठनों की बचाव और राहत कार्रवाइयां जारी
लोनी/गाजियाबाद, 5 सितम्बर 2025 — विशेष रिपोर्टयमुना की हालिया तेज़ बढ़त ने दिल्ली-NCR और गाजियाबाद के तटवर्ती इलाकों में चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। लोनी उपविभाग के कई गांवों में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुँचने के बाद सैकड़ों लोग प्रभावित हुए, दर्जनों परिवारों का विस्थापन और खेतों की बर्बादी की खबरें आई हैं। प्रशासन ने बचाव-राहत-होटलाइन और अस्थायी शिविर स्थापित कर दिए हैं तथा NDRF-डिब्बों को तैनात रखा गया है।
वर्तमान स्थिति — लोनी और तटवर्ती इलाकों (विस्तार)
जलस्तर और प्रवाह: 3–4 सितंबर 2025 की लगातार हुई तेज़ बरसात और ऊपरी इलाकों से छोड़े गए जल के कारण यमुना ने कई जगहों पर ‘खतरे का निशान’ पार कर लिया। दिल्ली में यमुना का स्तर इस सप्ताह रिकॉर्ड के करीब पहुँचा और कई स्थानों पर ऊपर बना रहा। लोनी-गाजियाबाद की कुछ निचली बस्तियों में पानी घुसा और खेतों में जलभराव हुआ।
लोनी-विशेष: लोनी के
खादर-बदरपुर और आसपास के गांवों में पुश्ता (एंबैंकमेंट) पर दबाव बना रहा; कुछ कमजोर हिस्सों पर मामूली कट आने की खबरें मिलीं जिनकी तात्कालिक मरम्मत करवाई गई। कई खेत और कम से कम दर्जन भर घर प्रभावित हुए हैं। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक कुछ गांवों से लगभग 55 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है।
प्रभावित इलाकों में नुकसान
कृषि: खादर क्षेत्रों में बनस्पति (खासकर धान, गन्ना, सब्जी) बुरी तरह प्रभावित हुई; कई हेक्टेयर फसलें जलमग्न या बर्बाद हुईं जिससे किसानों की आय पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
निवास और बुनियादी सुविधाएँ: कुछ घरों के निचले भागों में पानी भर गया; सड़कों पर जलभराव और संचार बाधित हुआ। प्रशासन ने कुछ इलाकों में विद्युत आपूर्ति को रोकने की व्यवस्था की ताकि शॉर्ट सर्किट का जोखिम कम रहे।
प्रशासन और राहत-बचाव कार्य
प्रशासनिक पृष्ठभूमि: जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं। स्कूलों को सुरक्षा वजह से अस्थायी छुट्टी घोषित की गयी थी ताकि विद्यार्थी जोखिम से बचें। स्थानीय पीएचक्यू-कंट्रोल रूम और DMO-कार्यालयों से समन्वय चल रहा है।
NDRF और बचाव दल: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय SDRF टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात या स्टैंडबाय मोड में रखी गयीं; कुछ स्थानों पर रेस्क्यू ऑपरेशन कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।
रिट्रीट/रिटेनिंग: कमजोर एंबैंकमेंट/पुश्तों पर रेत-बैग और तात्कालिक बुनियादी मरम्मत कार्य कराए जा रहे हैं ताकि और अधिक कटाव रोका जा सके। सीडब्ल्यूसी (Central Water Commission) और स्थानीय सिंचाई विभाग लगातार जलस्तर की चेतावनी जारी कर रहे हैं।
सामाजिक संगठनों और स्थानीय मदद
स्थानीय निवासी-समूहों, एनजीओ और पक्षी-संगठनों ने राहत सामग्री, पका हुआ भोजन, पानी की बोतलें, प्राथमिक दवाइयाँ और बचाव उपकरण उपलब्ध कराने में मदद की है। कई जातीय-सामुदायिक स्वयंसेवी टीमें प्रभावित परिवारों तक खाना और गर्म कपड़े पहुँचाने में जुटीं हैं। कुछ संस्थाएँ अस्थायी राहत शिविरों का संचालन कर रही हैं और प्रभावितों को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करा रही हैं।
संभावित खतरे और आगे की आशंकाएँ
1. पुश्ता के और कमजोर होने का खतरा: यदि ऊपर से और जलछोड़ या रिमती बारिश जारी रही तो एम्बैंकमेंट पर और दबाव पड़ सकता है और कटाव-भराव की घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
2. स्वास्थ्य जोखिम: जल-भराव से संक्रामक रोगों, दूषित पानी और भोजन की समस्या बढ़ने का खतरा रहता है—इसलिए साफ़ पानी और स्वच्छता पर कड़ी निगरानी आवश्यक है। (स्थानीय स्वास्थ्य विभाग सतर्क)
3. कृषि और आजीविका का प्रभाव: कटे हुए खेत और नष्ट फसलें किसानों की आय पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती हैं; सरकार द्वारा कृषि राहत/मुआवजा मामलों के लिए जल्द कदम उठाना अपेक्षित होगा।
प्रशासनिक निर्देश और नागरिकों के लिए सुझाव
यदि आप तटीय/खादर इलाके में रहते हैं — प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करें; यदि आवश्यक हो तो तुरंत उच्च स्थानों पर चले जाएँ।
बिजली एवं गैसी उपकरण — पानी के संपर्क में आने पर घरेलू विद्युत उपकरण तुरंत बंद रखें; खुद मरम्मत/उपकरण को ठीक करने का प्रयास न करें।
साफ़ पानी और चिकित्सा सहायता — केवल प्रशासन/एनजीओ द्वारा दी गई सुरक्षित-पानी का उपयोग करें; दस्त/उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
क्या कह रही हैं आधिकारिक एजेंसियाँ?
स्थानीय जल निकाय निगरानी पर हैं; रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ स्थानों पर यमुना का स्तर गिरने का अनुमान है पर हालात अभी भी संवेदनशील बने हुए हैं। प्रशासन ने सतर्कता जारी रखी है और आवागमन-रोक तथा रेस्क्यू-तैयारी के निर्देश दिए हैं।
क्षेत्रीय नागरिकों की प्रशासन से मुआवजे की मांग
— बदरपुर/पचयरा के किसान रमेश चन्द ने बताया कि गत 2 दिनों में पानी की तेज़ी से वृद्धि ने उनकी करीब 3 एकड़
फसल बर्बाद कर दी; परिवार को अस्थायी शिविर में शिफ्ट किया गया, और वे प्रशासन से त्वरित मुआवजे की आशा व्यक्त करते हैं। ऐसे कई छोटे किसान और मजदूर अभी अनिश्चितता में हैं।
क्या उम्मीद रखें — अगले 24–48 घंटे
मौसम विभाग और जल निगरानी संगठन आगे के 24–48 घंटों के लिए स्थानीय मॉनसून पैटर्न और जलछोड़ पर नजर रख रहे हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि यमुना का स्तर धीरे-धीरे घटने लगेगा पर पटरियों में और निचले हिस्सों में जलरोक व पुनरावस्था के काम अब भी जारी रहेंगे। इसलिए सावधानी अभी आवश्यक है।
