रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
एमडीए की वादा खिलाफी के खिलाफ किसानों का संघर्ष तेज
राष्ट्रीय देहात मोर्चा ने धरने को दिया समर्थन, कहा – “किसान खुद लड़े तो ही जीत पक्की”
मेरठ । मालिकाना हक़ और मुआवजे की मांग को लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। पूठा, घाट मलियाना, डूगरावली और कुंडा गांव के किसानों ने एमडीए द्वारा 2015 में किए गए समझौते की वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए 25 अगस्त से धरना शुरू कर रखा है। आज इस आंदोलन को राष्ट्रीय देहात मोर्चा का मजबूत समर्थन मिला।
किसानों का आरोप – वादा किया था मुआवजा, मिला केवल शोषण
किसानों का कहना है कि 10 नवंबर 2015 को एमडीए ने उनकी भूमि पर वेदव्यास पुरी, लोहिया नगर और गंगानगर योजना बसाने के लिए 710 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से शताब्दी नगर योजना के समानांतर (प्रतिकार) मुआवजा देने का वादा किया था। लेकिन अब तक मुआवजा नहीं दिया गया और उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया जा रहा है।
देहात मोर्चा का समर्थन – “किसानों को भूल जाती है सरकार”
धरना स्थल पर पहुंचे राष्ट्रीय देहात मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय महासचिव प्रिंसिपल मन्तराम नागर ने किया। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा –
“हर चुनाव में सभी राजनीतिक दल किसान हितैषी होने का दावा करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद किसान की जगह पूंजीपतियों के हित साधे जाते हैं। जब तक किसान अपनी लड़ाई खुद मजबूती से नहीं लड़ेंगे, तब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा।”
मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू सिंह आर्य ने कहा कि यह बहुत शर्मनाक है कि जिन किसानों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में देश के लिए सबकुछ न्योछावर कर दिया, उनके वंशज आज अपनी ही जमीन के मुआवजे के लिए लड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह एमडीए और किसानों के बीच मध्यस्थता कर तुरंत समाधान निकाले।
आंदोलन को मिल रहा व्यापक समर्थन
धरने को हरीश गौतम, रामेश्वर शर्मा, धर्मपाल सिंह, नरेश चौधरी, मंगत सिंह, सतपाल मलियाना, सुभाष प्रधान, उदयवीर चौधरी समेत कई किसान नेताओं ने संबोधित किया। अध्यक्षता चौधरी सतबीर सिंह और संचालन बिन्नी ने किया।
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा भी मौजूद रहे। श्यामो देवी, सिरदारी देवी, बलेशरी देवी, केला देवी सहित सैकड़ों महिलाओं की उपस्थिति ने इस आंदोलन को और मजबूती दी।
अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो विवाद गहराएगा
एमडीए द्वारा किए गए वादे की पूर्ति न होना किसानों की नाराजगी का मूल कारण है। भूमि अधिग्रहण के बाद उचित मुआवजा न मिलना सिर्फ कानूनी ही नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक न्याय का भी सवाल है। आंदोलन को राष्ट्रीय देहात मोर्चा का समर्थन मिलने के बाद यह साफ हो गया है कि किसानों का संघर्ष अब और व्यापक होगा। सरकार और एमडीए को जल्द ही कोई ठोस पहल करनी होगी, वरना यह विवाद और गहराएगा।
