
रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़
पीएम मोदी की चीन यात्रा : SCO सम्मेलन में भारत की रणनीति का बड़ा संदेश
सीमा विवाद से लेकर आतंकवाद तक, एशियाई मंच पर भारत की भूमिका अहम
मोदी-शी-पुतिन मुलाकातों से क्षेत्रीय समीकरणों में बदलाव की संभावना
नई दिल्ली/तिआनजिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। वे तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं, जहाँ वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ताएं करेंगे।
यह यात्रा न केवल भारत–चीन संबंधों बल्कि रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी और पाकिस्तान के साथ सुरक्षा मुद्दों पर भारत की कड़ी स्थिति को स्पष्ट करने का अवसर है।
भारत को संभावित फायदे
1. क्षेत्रीय सहयोग में बढ़त – SCO मंच भारत को एशियाई देशों से आर्थिक व सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का मौका देता है।
2. ऊर्जा सुरक्षा – रूस और मध्य एशियाई देशों के साथ ऊर्जा समझौते भारत की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
3. वैश्विक छवि मजबूत – G20 और राष्ट्रमंडल खेलों की बोली के बाद, SCO में सक्रिय भागीदारी भारत को वैश्विक नेता की छवि देती है।
4. आतंकवाद पर सख्त संदेश – पाकिस्तान के खिलाफ कड़े शब्दों और प्रस्तावों से भारत की स्थिति और मजबूत होगी।
संभावित नुकसान / चुनौतियाँ
1. सीमा विवाद का समाधान कठिन – चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव अभी भी बरकरार है, और त्वरित समाधान की संभावना कम है।
2. पाकिस्तान की उपस्थिति – SCO में पाकिस्तान की मौजूदगी भारत की सुरक्षा चिंताओं को और जटिल बना सकती है।
3. चीन पर आर्थिक निर्भरता – बढ़ते व्यापारिक संबंध भारत को चीन पर अधिक निर्भर बना सकते हैं।
4. बहुपक्षीय असहमति – SCO में सभी सदस्य देशों के हित अलग-अलग हैं, जिससे ठोस नतीजों तक पहुँचना मुश्किल हो सकता है।
विश्लेषण
मोदी की यह यात्रा भारत के लिए रणनीतिक अवसर और चुनौतियों का मिश्रण है। जहाँ एक ओर यह मंच भारत को बड़े देशों के बीच अपनी भूमिका को स्थापित करने का अवसर देता है, वहीं सीमा विवाद और पाकिस्तान जैसे मुद्दे इस प्रयास को जटिल भी बनाते हैं।
भारत के लिए असली परीक्षा यह होगी कि वह अपनी आर्थिक जरूरतों और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन कैसे स्थापित करता है।
