
मेरठ। दिल्ली रोड स्थित शताब्दी नगर में श्री केदारेश्वर सेवा समिति द्वारा श्री शिव महापुराण कथा का विशाल भव्य आयोजन किया गया। इसमें विश्व विख्यात मा कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा शिव महापुराण कथा की महिमा का बहुत ही मार्मिक सुंदर, मनोहारी, मंत्रमुग्ध कर देने वाला वर्णन अपनी पवित्र मधुर वाणी द्वारा किया गया।
कथा को सुनकर हजारों की संख्या में भक्तगण शिव भक्ति में लीन हो गए।
इस कथा का भव्य आयोजन दिल्ली रोड स्थित शताब्दी नगर में अध्ययन स्कूल के पास एक बड़े मैदान में भव्य पंडालों को सजाकर किया। बैठने के लिए बड़े-बड़े तीन पंडाल जिनमें हजारों लोगों के बैठने की बेहतर व्यवस्था थी भक्तों को बैठने के लिए सोफे कुर्सियां एवं दरियां बिछाई गई थी। कथा सुनकर लोगों भाव विभोर थे मानों जैसे शिवजी का कोई अद्भुत प्रसाद इन्हें मिल गया हो। सभी शिव का नाम जपते कथा से अपने घरों को गए और सुविख्यात महाकथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा सुनि श्री शिव महापुराण कथा का गुणगान करते देखे गए।
आज कथा का पहला दिन था जिसमें जिले के बड़े-बड़े अधिकारीगण नेतागण और कई समाजसेवी संस्थाओं के गणमान्य लोग उपस्थित रहे, साथ ही शिव महापुराण कथा में भारी संख्या में सेवादारों ने व्यवस्था को संभाला।
शिव महापुराण कथा का भव्य शुभारंभ भगवान श्री शिवजी की पूजा अर्चना से महाकथावाचक पंडित श्रद्धेय प्रदीप मिश्रा के द्वारा किया गया। उन्होंने मेरठ में इस कथा के आयोजन के अवसर पर कथा कराने वाले केदारेश्वर सेवा समिति के आयोजकों को बधाई दी। और उन पर शिव की कृपा बनी रहे ऐसा आशीर्वाद दिया। पंडाल में मौजूद सभी भक्तों को उन्होंने शिव जी का बेलपत्र रूपी आशीर्वाद दिया। जिसे पाकर सभी उनकी आशीर्वाद रूपी प्रसाद और मधुर दिव्य वाणी द्वारा श्री शिव महापुराण कथा को सुनकर अभिभूत हो गए।
उन्होंने अपराह्न 1:00 बजे श्री शिव महापुराण कथा का
शुभारंभ किया जो सांय 4:00 बजे सम्पन्न हुई।
कथा प्रारंभ करने से पहले उन्होंने कुछ कथाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और अपने दिव्या प्रवचनों से सभी भक्तों को धार्मिक दिव्य विचारों से सराबोर किया।
उक्त श्री शिव महापुराण कथा कथा के अंतर्गत कुछ ऐसे भक्त आए जिन्होंने पत्र लिखकर अपने जीवन की कुछ कठिन बातों से अपने दुखों से पंडित प्रदीप मिश्रा को लिखित रूप से अवगत कराया तो कथावाचक ने उनके दर्द को समझा और बारी-बारी से सभी के पत्र मंच द्वारा पढ़कर हजारों भक्तों को सुनाएं जिन्हें सुनकर कथा में आए सभी भक्तगण भाव विभोर हो गए।
शाहजहांपुर से आए प्रदीप कुमार सक्सेना ने अपने पत्र में बाबा को बताया कि दिनांक 19 मई 2018 को उनके बेटे की डीएमडी जैसी बीमारी से मृत्यु हो गई थी, इसके बाद वह टूट गए और बेटे के गम में इतना रोते थे कि उनकी एक आंख खराब हो गई, उसकी जगह मुझे दिल्ली में पत्थर की आंख लगा दी गई फिर दूसरी आंख भी रोते-रोते खराब हो गई तब मैं बहुत दुखी हो गया तो मेरे एक जानकार ने शिव पुराण कथा पुराण कथा सुनाई और मैं लगातार सुनता रहा जिसका परिणाम यह हुआ कि कुछ दिन बाद जब डॉक्टर ने मेरी आंखों की जांच की तो देखा कि मेरी आंख बिल्कुल स्वस्थ है। डॉक्टर ने कहा आपको ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं है। यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा भक्तों यही शिवजी की भक्ति का विश्वास मुझे उस ऑपरेशन से बचा लाया।
एक दूसरे भक्त खतौली से निशा वर्मा का परिवार कथा सुनने आया उन्होंने भी कथावाचक प्रदीप मिश्रा को भगवा रंग में एक पत्र लिखा और उसमें अपनी समस्या को बताया कि हमारा घर खतौली में एक बंद गली में है। सबके घर के पीछे दबा हुआ घर है, उसमें एक दुकान भी खोली थी हम बड़े परेशान थे पीछे मकान होने से दुकान भी नहीं चल पाती थी तब हमें कुछ शिव बाबा की भक्ति शक्ति का ज्ञान मिला तो हमने मिट्टी के एक पात्र में शिवलिंग की स्थापना की और दोनों पति-पत्नी रोजाना बेलपत्र जल आदि शिवलिंग पर चढ़ाकर बाबा की नित्य पूजा करने लगे। उसके बाद आज शिव बाबा की कृपा से हमारे पास खतौली के मुख्य बाजार में एक दुकान और मकान है। यही शिव बाबा की अपने भक्तों पर कृपा होती है।
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रवचनों में भक्तों से कहा-की शिवजी भगवान सबसे दयावान भगवान है जो इनको साध लेता है वह सब कुछ पा लेता है। और जो भक्त शिव महापुराण कथा गाता और सुनता है वह कुछ ना कुछ जरूर पाता है।
कथा के बीच में गुरुजी ने राधा रानी पर और कन्हैया जी पर एक भजन सुनाया …जितना राधा रोई कान्हा के लिए ,..कन्हैया उतना रोए सुदामा के लिए…..को सुनकर सभी भक्तगण मंत्र मुक्त हो गए और भक्ति रस में लीन हो गए।
क्योंकि कन्हैया अपने सच्चे बचपन के मित्र सुदामा की दशा देखकर दुखी हो गए और अपनी अश्रुधारा से सुदामा जी के चरण धुलाये।
उन्होंने यह भी बताया कि मेरी एक बात याद रखना जो एक लोटा जल शिवजी पर रोज चढ़ाता है शिवजी उसके घर परिवार की सारी समस्याएं हर लेते हैं। और उस घर में 33 कोटी देवी देवताओं की कृपा होती है वह घर-घर नहीं शिवजी का शिवालय हो जाता है।
एक और भजन गुरु जी ने सुनाया,…दुख में ना कोई तेरे साथ रहेगा…. साथ रहेगा तो बस भोलेनाथ रहेगा…. एक ओर भक्त ने गुरु जी को एक पत्र में लिखकर अपने बारे में बताया कि मैं हर प्रकार के नशे का आदी था जिससे मेरा सब कुछ नष्ट हो गया समाज में मेरी मान प्रतिष्ठा भी खत्म हो गई लेकिन मेरे एक मित्र ने मुझे शिवजी की महिमा के बारे में बताया और शिव पुराण कथा सुनाई तो मेरे अंतर्मन में इस दिव्य शक्ति के प्रति मोह उत्पन्न हो गया और मैं शिव का भक्त हो गया जिससे मेरा सब कुछ लौट आया मेरे दुख दूर हो गए और आज मैं शिवजी के मंदिर में सेवा और सफाई प्रतिदिन करता हूं और सदैव मुझ पर शिवजी कृपा बनी रहती है शिवजी के जलाभिषेक से ही मेरी दिनचर्या शुरू होती है।
कथा के अंतर्गत एक महिला ने भी बताया कि शादी के कई वर्षों बाद भी बच्चा नहीं हुआ और डॉक्टर ने भी जांचोंपरांत साफ मना कर दिया कि अब आप कभी मां नहीं बनोगी तब मैंने एक पंडित जी के कहने पर शिव पुराण कथा सुनी और लगातार शिवजी की कथा सुनती रही और उनकी पूजा करती रही साथ ही शिवजी को प्रतिदिन एक लोटा जल चढ़ाती रही तो 3 महीने बाद ही शिव बाबा की कृपा से मुझे गर्भ हुआ और सन 2020 को शिवरात्रि के दिन हमारे घर में एक कन्या ने जन्म लिया तो मानो घर में खुशियों का अम्बार लग गया जैसे मेरे सभी दुख दूर हो गए मुझे अब जीवन में कोई पीड़ा नहीं रही मेरा हृदय बाबा की भक्ति और खुशियों से भर गया।
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा-कि हमारे समाज में धर्म के प्रति कुछ नकारात्मक बातें देखी जाती है जैसे मानो कई कथा आरंभ होने वाली हो तो लोग कथा कराने वाले आयोजकों के बारे में भी बात करते हैं कि यह कथा क्यों हो रही है कथा कौन करा रहा है क्यों क्या रहा है क्या यह कथा में हजारों लोगों को बुलाकर आने वाले दिनों में चुनाव लड़ना चाहता है वगैरा-वगैरा लेकिन भक्तों कथा एक वह सत्संग है जिसमें आदमी भगवान के दिए गए दिव्य प्रवचनों को उपदेश के द्वारा सुनता है और उसके जीवन का कल्याण होता है।
महा कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज का मानव किसी भी बुरे कार्य को करने से नहीं डरता क्योंकि वह लोभ में इतना डूब गया है कि वह उस दलदल से उभरना ही नहीं चाहता मैं कहता हूं कि तुम चाहे जीवन में कुछ भी करना आज का मानव क्योंकि किसी से डरता नहीं है चाहे वह भगवान हो वेद पुराण हो मैं यही कहूंगा कि तुम चाहे वेद पुराणों से मत डरते शास्त्रों से नहीं डरते साधु संतों से नहीं डरते पंडित से तपस्वी से भगवान से माता-पिता से चाहे नहीं डरते, लेकिन भक्तों बुरे कर्म करने से जरूर डरना क्योंकि बुरे कार्य करने से बुरे कर्म का फल तो अवश्य मिलता है बुरे कर्म के फल से देवी देवता भी नहीं बच पाए जैसे आपने सुना होगा कि भगवान राम ने किसी मजबूरी के कारण बाली को यानी सुग्रीव के भाई को छल से वृक्ष के पीछे छिपकर बाण से मारा था उसके बाद उन्होंने जब दूसरा कृष्ण अवतार लिया तो उसने उन्हें धनुष बाण चरणों में मार कर घायल किया था तो कर्म की तो गति अवश्य होती है और कर्म का फल भुगतना पड़ता है।
प्रवचनों के संपन्न होने के बाद विश्व विख्यात महाकथावाचक श्रद्धेय पंडित प्रदीप मिश्रा और उनके सहयोगियों और आयोजकों के द्वारा शिवजी की आरती के साथ कथा का समापन किया गया।