
चार साल पूर्व डोनाल्ड ट्रंप एक हारी हुई शख्सियत थे। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता उनके प्रतिद्वंद्वी बाइडन ने साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें बड़े अंतर के साथ करारी शिकस्त दी थी।
अदालतों ने उस चुनाव के नतीजों को चुनौती देने की ट्रंप की कोशिशों को खारिज कर दिया था।
ट्रंप ने अपने आखिरी दावा के रूप में अपने समर्थकों की एक रैली बुलाई, जिसमें उन्होंने समर्थकों से अमेरिकी संसद भवन पर उस वक्त धावा बोलने के लिए कहा, जब व्हाइट हाउस में बैठे सांसद राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर प्रामाणिकता की मुहर लगा रहे थे।
ट्रंप समर्थकों की भीड़ ने देश के संसद भवन पर इतना भयानक और हिंसक हमला बोला कि इमारत के भीतर मौजूद लोगों को अपनी हिफाजत के लिए इधर-उधर भागने को मजबूर होना पड़ा था।
ट्रंप समर्थक की भीड़ के इस हमले में सैकड़ों सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।
इसके विरोध में ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारियों ने अपने पद और उनका साथ छोड़ दिया था।
इनमें शिक्षा मंत्री बेट्सी डेवोस और परिवहन मंत्री इलेन चाओ शामिल थे। बेट्सी ने राष्ट्रपति को भेजे अपने इस्तीफ़े में लिखा कि, इसमें कोई शक नहीं कि आपकी नाटकीय बयानबाजी से ही ये हालात बने हैं और ये मेरे लिए फैसले की घड़ी है।
साउथ कैरोलाइना से रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर और ट्रंप के करीबी रहे लिंडसे ग्राहम ने भी उनका का साथ छोड़ दिया था।
लिंडसे ग्राहम ने अमेरिकी सीनेट में कहा, बस अब बहुत हो गया। मैं अब यही कह सकता हूं कि अपने समर्थकों की लिस्ट से मुझे माफ ही करें।
अमेरिका के उद्योग जगत तक ट्रंप से दूरी बनाने की मुहिम फैल गई थी ।
अमेरिकन एक्सप्रेस, माइक्रोसॉफ्ट, नाइकी और वालग्रीन्स जैसी दर्जनों बड ने कहां कि रिपब्लिकन पार्टी को अपना समर्थन नहीं देंगें। क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी द्वारा साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को चुनौती दी गई है।