
लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से, नाबालिग द्वारा खुद नाम बताए जाने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों को छोड़ दिया। इससे पुलिस की भूमिका पर संदेह पैदा हो गया है। पीड़ित परिवार आरोपियों के डर से जी रहा है, क्योंकि वे खुलेआम घूम रहे हैं, वह उनके पास बच्चियों की न्यूड वीडियो व फोटो भी है। और उन पर दबाव बनाकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। स्थानीय लोगों में पुलिस के खिलाफ तनाव और गुस्सा है। लोग पुलिस के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।
नाबालिग खुद इतनी सदमे में है और डरी हुई है कि वह डिप्रेशन में आ गई है। स्कूल जाना बंद कर दिया गया है। और कोई बड़ा कदम उठा सकती है, या खुद को नुकसान पहुंचा सकती है। सूत्रों के मुताबिक खबर है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के कुछ राष्ट्रीय स्तर के नेता पीड़ित परिवार से मुलाकात करेंगे। कुल मिलाकर इस गंभीर प्रकरण में पुलिस की उदासीनता को लेकर क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस मामले में थाना प्रभारी सरबन कुमार से बात करने पर बताया गया कि दो आरोपियों को 41 ए के नोटिस पर छोड़ा गया है। तीसरे आरोपी के बारे में जानकारी होने से थाना प्रभारी द्वारा अनभिज्ञता जाहिर की गई। जबकि कानूनके जानकारी के मुताबिक 7 साल से अधिक की सजा के प्रावधान वाले मामले में नोटिस 41 ए पर छोड़ नहीं जा सकता आरोपियों को। फिर आरोपियों को किस तरह छोड़ गया इसको लेकर पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है? इस संबंध में बात करने पर एसीपी लोनी सूर्य बली मोर्या ने बताया कि साक्ष्य एकत्रित किए जा रहे हैं साक्ष्य मिलने आरोपियों के विरुद्ध पर सख्त कार्रवाई की जाएगी । जबकि जानकार सूत्रों के मुताबिक ऐसे मामलों में नाबालिक बच्चियों का बयान ही काफी है। अदालत भी 164 के बयान को आधार मानती है।