- चिता में ही, मेरी माँ का शरीर लगभग जल चुका था. फिर हम लोगों ने पुलिस को सूचना दी.
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रायगढ़ शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कोतरलिया पंचायत का चिटकाकानी गांव, ओडिशा की सीमा से बराबर की दूरी पर है.
इस गांव में कई परिवार ओडिशा के हीराकुंड बांध के डूब क्षेत्र परसदा जुगनी से विस्थापित हो कर यहां बसे हैं.
इनमें से ही एक, कोलता समाज के जयदेव गुप्ता और उनकी पत्नी, घर से कुछ दूरी पर ही, दर्जी की दुकान चलाते थे।
क्या कहते हैं गांव के लोग

जयदेव गुप्ता के बेटे सुशील गुप्ता
जयदेव गुप्ता के पड़ोसी बुजुर्ग मंगल खमारी बताते हैं, “पति-पत्नी में बहुत प्रेम था. दोनों बहुत ही सभ्य और शालीन थे. पिछले डेढ़ साल से जयदेव को कैंसर हुआ और पूरा परिवार उसके इलाज में उलझा रहा. रविवार को जयदेव का रायगढ़ अस्पताल में निधन हो गया. शाम को पांच बजे के आसपास शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया.”
सुशील बताते हैं कि रात दस बजे के आसपास लोग वापस आ गए. 11 बजे के आसपास जब सुशील की नींद खुली तो उनकी 57 साल की माँ गुलापी गुप्ता घर में नहीं मिलीं. घर का मुख्य दरवाज़ा भी खुला हुआ था.
काफ़ी तलाश के बाद गांव के लोग शमशान पहुंचे, जहां उन्हें चिता में अधजली लाश मिली.
गांव की सरपंच हरिमति राठिया का कहना है कि उन्हें सुबह पता चला कि गुलापी गुप्ता ने अपने पति की ‘चिता में जल कर जान दे दी.’
सरपंच राठिया के भतीजे हेमंत कुमार ने बताया, “मैं रात ढाई बजे शमशान घाट पहुंचा तो वहां चिता की लपट उठ रही थी.”
