85 लाख की लूट और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

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रविन्द्र बंसल प्रधान संपादक / जन वाणी न्यूज़

85 लाख की लूट और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

दिनदहाड़े वारदात, क्या निगरानी व्यवस्था अपराधियों के आगे कमजोर पड़ी?

हापुड़ । कोतवाली नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या नौ पर तेल व्यापारी के मुनीम से 85 लाख रुपये की लूट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। व्यस्त मार्ग पर दिन के समय हुई इस वारदात ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अपराधियों को पुलिस की मौजूदगी और निगरानी का कोई भय क्यों नहीं रहा।

गश्त व्यवस्था की वास्तविकता

घटना स्थल राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, जहां सामान्यतः नियमित गश्त और निगरानी की बात कही जाती है। इसके बावजूद बदमाशों का घटना को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाना गश्त व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करता है। यदि गश्त सक्रिय थी तो अपराधियों की मौजूदगी समय रहते क्यों नहीं भांपी जा सकी, यह जांच का विषय है।

सूचना तंत्र की भूमिका

इतनी बड़ी धनराशि की सटीक जानकारी के साथ की गई लूट यह संकेत देती है कि अपराधियों को मुनीम की गतिविधियों की पूर्व जानकारी रही होगी। यह जानकारी किस स्तर से लीक हुई, क्या स्थानीय स्तर पर सूचना तंत्र कमजोर पड़ा, इन बिंदुओं पर भी गहन जांच आवश्यक मानी जा रही है।

घटना के बाद की कार्रवाई

घटना के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और आसपास के मार्गों की पड़ताल की। हालांकि, अपराधियों के फरार होने के तरीके और समय को देखते हुए यह सवाल उठता है कि प्रारंभिक घेराबंदी कितनी प्रभावी रही। समय पर नाकेबंदी और समन्वित कार्रवाई होती तो परिणाम कुछ और हो सकते थे।

पूर्व घटनाओं से सबक

जनपद में पूर्व में हुई लूट और चोरी की घटनाओं का समय रहते खुलासा न होना भी पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े करता रहा है। यदि पिछली घटनाओं से सबक लेकर संवेदनशील मार्गों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाती, तो संभवतः इस वारदात को रोका जा सकता था।

व्यापारियों का भरोसा डगमगाया

लगातार बढ़ती आपराधिक घटनाओं से व्यापारियों में असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है। उनका कहना है कि बड़ी धनराशि के आवागमन के दौरान पुलिस सुरक्षा और निगरानी की ठोस व्यवस्था नजर नहीं आती, जिससे अपराधियों के हौसले बढ़ रहे हैं।

85 लाख की लूट केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि पुलिस की निगरानी, सूचना तंत्र और त्वरित कार्रवाई की कसौटी भी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी पारदर्शी और प्रभावी जांच करती है तथा दोषियों तक पहुंचकर जनविश्वास को बहाल करने में सफल होती है या नहीं।

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