रविन्द्र बंसल वरिष्ठ संवाददाता / जन वाणी न्यूज़ बागपत। खेकड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले घिटौरा गांव में खनन माफियाओं द्वारा भारी पैमाने पर अवैध खान किया जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा
गांव के जंगल में हो रहे मिट्टी कैसे अवैध खनन के विरुद्ध अनेकों बार अधिकारियों को शिकायतें की जा चुकी है। लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई व रेवेन्यू विभाग द्वारा नहीं की गई है। इसको लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। बता दें कि बागपत जनपद के घिटौरा गांव के जंगल में खाना माफियाओं द्वारा सैकड़ो बीघा समतल एवं उपजाऊ भूमि पर अवैध खनन करके 20 से 30 फीट गहरे गड्ढे कर दिए गए हैं। जिससे क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है। साथी पर्यावरण पर भी अवैध खनन के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा प्रदेश सरकार को रॉयल्टी के रूप में मिलने वाले राजस्व की भी भारी हानि हो रही है। इतना सब कुछ होने के बावजूद एवं ग्रामीणों द्वारा अनेकों बार शिकायत करने व अवैध खनन के पुख्ता प्रमाण देने के बावजूद भी इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रंग रही है। अवैध खनन से परेशान ग्रामीण अब आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। खनन माफियाओं द्वारा एल. एम. सी .की सरकारी भूमि सरकारी नाली एवं चकरोड़ो को भी खोज दिया है। जिससे किसानों को खेतों में आने-जाने में भारी परेशानी होती है। एवं सरकारी नालियों के काटने के कारण खेतों की सिंचाई करना भी मुश्किल हो गया है। क्षेत्र के किसान शिकायतें करके थक चुके हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिस पर किसान आंदोलन की भूमिका बना रहे हैं। अगर समय रहते शासन प्रशासन ने इस और ध्यान नहीं दिया तो किसानों का आक्रोश फुटकर एक दिन सड़क पर आ सकता है। घिटोरा गांव वह उससे लगे हुए लोनी तहसील के मसूदाबाद बामला माजरा कागर उच्च अधिकारी निरीक्षण करें तो स्थिति श्वेता ही स्पष्ट हो जाएगी इस समतल और उपजाऊ जंगल को खनन माफियाओं द्वारा चंबल घाटी में तब्दील कर दिया गया है। यहां दिन में भी कोई भी अपराध किया जा सकता है। और अपराधी आराम से यहां छुपा सकते हैं जिनको ढूंढ पाना पुलिस के लिए बहुत कठिन होगा। यह खाना बहुत बड़े पैमाने पर रात के अंधेरे में बड़ी-बड़ी मशीनों और डंपरों द्वारा किया जाता है। लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी आंख मूंदे बैठे हैं। इससे प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल या निशान लगना लाजमी है? क्षेत्र के किसान इस अवैध खनन को लेकर काफी परेशान है। लेकिन देखना होगा प्रशासन कब उनकी सुध लेगा।