17 वर्षीय 11वीं की छात्रा बिना ब्याही मां बनी : लोक लाज के डर से नवजात शिशु को बाथरूम की  खिड़की से बाहर फेंक दिया

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                           रविन्द्र बंसल वरिष्ठ संवाददाता  / जन वाणी न्यूज़                            17 वर्षीय 11वीं की छात्रा बिना ब्याही मां बनी,: लोक लाज के डर से नवजात शिशु को बाथरूम की  खिड़की से बाहर फेंक दिया
कोरबा। जनपद के विकासखंड पौड़ी उपरोड़ा स्थित कस्तूरबा गांधी सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में एक छात्रा के द्वारा प्रीमेच्योर शिशु को जन्म देने का मामला प्रकाश में आया है।
जनपद से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां के पौड़ी उपरोड़ा विकासखंड स्थित कस्तूरबा गांधी सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही 17 वर्षीय नाबालिंग 11वीं की छात्रा बिन ब्याही मां बन गई है। जानकारी के अनुसार जब छात्रा बाथरुम गई तो वहां पर उसे प्रसव पीड़ा होने लगी । इस दौरान उसने बच्चे को जन्म दिया और बदनामी के डर से छात्र ने बच्चे को बाथरुम की खिड़की से बेरहमी से बाहर फेंक दिया। इससे नवजात के पैर में चोट लगी है। उसे घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामला प्रकाश में आने पर महिला छात्रावास अधीक्षिका के हाथ पांव फुल गये
उन्होंने तत्काल इस संबंध में छात्रा से पूछताछ की तो नाबालिग छात्रा ने पहले तो इस बात से कतई इंकार कर दिया। बाद में जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, अस्पताल डॉक्टरों से छात्र द्वारा इस मामले की पूरी कहानी सबके सामने बताई गई । इसके पश्चात प्रशासन द्वारा शासकीय कार्य में लापरवाही बरतने पर छात्रावास अधीक्षिका को निलंबित कर दिया। अब उन्हें मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कटघोरा से संबंध कर दिया गया है। मामला प्रेम प्रसंग का बताया जा रहा है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई हैा।
छात्रा की उम्र 17 साल की बताई गई है। कस्तूरबा गांधी सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में एक छात्रा ने प्री-मैच्योर बच्चे को जन्म दिया है। दूसरी ओर छात्रा के परिजनों का कहना है कि बेटी ने कभी अपने गर्भवती होने की जानकारी नहीं दी। शिशु के पैर में चोट के निशान पाए गए हैं। ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए उसे कोरबा में मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के सीएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है।
कोरबा जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर पौड़ी उपरोड़ा में आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से कस्तूरबा गांधी आवासीय गर्ल्स हॉस्टल का संचालन किया जा रहा है। इस मामले की खबर जब संस्था में फैली तो छात्रावास अधीक्षिका जय कुमारी रात्रे ने संज्ञान लिया। उन्होंने बालिका शिशु के जन्म के बारे में संबंधित छात्रा से पूछताछ की तो उसने इस मामले में अपनी भूमिका से साफ इनकार कर दिया। उसने कहा की शिशु किसका है ,उसे नहीं पता। बाद में छात्रा के माता-पिता को बुलाकर पूछताछ की गई तो उनका कहना था कि बेटी ने पहले कभी भी अपने गर्भवती होने के बारे में कोई सूचना नहीं दी थी।
जिला मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश वर्मा ने बताया कि बताया कि नवजात करीब 7 से 8 महीने का है। ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ समस्याएं हैं इसलिए उसे केयर यूनिट में रखा गया है। उसके एक पैर में चोट के निशान होने को लेकर डॉक्टर ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ऐसा क्यों हुआ। शिशु को ठंड लग गई थी और उसे हीटर हिट देकर गर्म किया गया है फिलहाल अभी बच्चे की हालत ठीक नहीं है उपचार जारी है।
फिलहाल अनैतिक संबंध के प्रभाव से इस दुनिया में आए बालिका शिशु का उपचार मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में चल रहा है। पुलिस की जांच में आगे संबंधित तथ्य स्पष्ट होने की गुंजाइश है। लेकिन असली सवाल बना हुआ है कि सरकारी छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाली छात्रा आखिर कैसे और किसके संपर्क में आई और व्यवस्था की निगरानी करने वाले तंत्र की नजर में वह काफी समय तक कैसे नहीं आ सकी। पुलिस प्रेम प्रंसग का मामला मानकर चल रही है।
छात्रावास की अधीक्षिका जयकुमारी ने बताया कि बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देने पर उसने जाकर देखा तो छात्रावास में नवजात शिशु पढ़ा हुआ रो रहा था। जांच करने पर पता चला कि एक छात्रा के द्वारा प्रसव होने के बाद बाथरूम की खिड़की से उसे नीचे फेंक गया था। अधीक्षिका ने बताया कि घटना के सामने आने पर उसने छात्रावास में सभी बच्चों से पूछताछ की तो पता चला कि छात्रावास की एक छात्रा की तबीयत खराब है । जिस पर उसे पौड़ी उपरोड़ा स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया जहां पर जांच के दौरान डॉक्टर ने पाया स की छात्रा को प्रसव हुआ है।

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