100 करोड़ रुपए तक का अनुदान 50% से अधिक राजस्व वृद्धि करने वाले नगर निगमों को मिलेगा

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प्रदीप बंसल संवाददाता/जन वाणी न्यूज़

लखनाऊ। उत्तर प्रदेश में नगरों के सवार्गीण विकास और नगरीय स्थानीय निकायों के रेवेन्यू कलेक्शन में वृद्धि को लेकर योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में नगर विकास विभाग ने राज्य की समस्त नगरीय स्थानीय निकायों में संचालित विभिन्न योजनाओं और अन्य मिशनों को ‘मिशन टू मूवमेंट’के रूप में विस्तारित कर मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना की शुरूआत की है। योजना के अंतर्गत नगर निगमों में न्यूनतम 25 प्रतिशत टैक्स/नॉन टैक्स में वृद्धि करने वाले नगर निगमों को न्यूनतम 2.5 करोड़ और अधिकतम 50 करोड़, नगर पालिका परिषदों व जिला मुख्यालयों (एक लाख से अधिक जनसंख्या) में न्यूनतम 15 प्रतिशत टैक्स/नॉन टैक्स में वृद्धि करने वाले निकायों को न्यूनतम 25 लाख रुपए और अधिकतम 20 करोड़ रुपए और नगर पालिका परिषद व जिला मुख्यालय (एक लाख से कम जनसंख्या) व नगर पंचायतों में न्यूनतम 10 प्रतिशत टैक्स/नॉन टैक्स में वृद्धि करने वाले निकायों को न्यूनतम 10 लाख और अधिकतम 5 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में 50 प्रतिशत से अधिक राजस्व वृद्धि करने, नवोन्मेषी परियोजनाएं, राजस्व उत्पादक परियोजनाएं एवं राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के लिए प्रति नगर निगम अधिकतम 100 करोड़ रुपए की निधि जारी की जा सकती है। मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना के क्रियान्वयन के लिए जारी एसओपी में इसका प्राविधान किया गया है।

5 वर्षों के लिए लागू रहेगी योजना

योजना के तहत, सेल्फ रेवेन्यू कलेक्शन को आधार वर्ष 2022-23 की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाया जाएगा, जो पात्रता मानदंड होगा। यह योजना 2024-25 से शुरू होकर पांच वर्षों के लिए लागू रहेगी। 2024-25 में इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपए की धनराशि की व्यवस्था की गई है। इस योजना से उत्तर प्रदेश के समस्त 762 नगरीय स्थानीय निकायों को आच्छादित किया जाएगा। यह योजना राज्य के समस्त नगरीय क्षेत्रों में सतत आर्थिक वृद्धि, समानता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने के लिए 3ई दृष्टिकोण अपनाएगी। योजना के प्रयोजन के लिए नगरीय स्थानीय निकाय के प्रकार, जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर नगरीय स्थानीय निकाय को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। श्रेणी-1 में नगर निगम (3 लाख से अधिक जनसंख्या), श्रेणी-2 में नगर पालिका परिषद एवं जिला मुख्यालय (1 लाख से अधिक जनसंख्या) और श्रेणी-3 में नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतें और जिला मुख्यालय (1 लाख से कम जनसंख्या) को शामिल किया गया है। इन श्रेणियों के तहत विभिन्न परियोजनाएं अनुमन्य की गई हैं।

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