रविन्द्र बंसल वरिष्ठ संवाददाता/ जनवाणी न्यूज़
तब भारत के कई हिस्सों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया था.
ट्रंप ने कहा था, ”भारत, चीन और रूस की गंदगी बहती हुई लॉस ऐंजिलिस तक पहुंच रही है. आपको पता है कि यहां एक समस्या है. तुलनात्मक रूप से हमारे पास ज़मीन का छोटा टुकड़ा है. अगर आप चीन, रूस और भारत जैसे और देशों से तुलना करें तो ये सफ़ाई और धुआं को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. ये अपनी गंदगी समंदर में डाल रहे हैं और बहते हुए लॉस ऐंजिलिस तक पहुंच रही है.”
हालांकि राष्ट्रपति बनने के फौरन बाद ट्रंप ने पाकिस्तान पर ‘आतंकवाद को शह’ देने आरोप लगाया था. भारत भी यही रुख़ अपनाता रहा है.
गलवान में हिंसक झड़प के बाद भी ट्रंप ने मध्यस्थता की बात कही थी, जिसे भारत ने ख़ारिज कर दिया था. ट्रंप ने इस मामले में चीन का साथ दिया था.
अमेरिका चीन को अपना प्रतिद्वंदी मानता है और समय-समय पर दूसरे तरीक़ों से इसका अहसास चीन को कराता रहता है.
बतौर राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा होने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एच1B वीज़ा की व्यवस्था में भी काफ़ी बदलाव किए थे.
ट्रंप के इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा भारतीय प्रभावित हुए थे.

ट्रंप राष्ट्रपति बने तो भारत का रुख़ क्या रहेगा
इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार सी राजा मोहन ने ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की स्थिति में भारत की विदेश नीति के सामने कुछ चुनौतियां बताई हैं.
ये चुनौतियां उन पांच मुद्दों से संबंधित हैं, जिनसे भारत अमेरिका के रिश्तों पर असर हो सकता है. ये असर सकारात्मक भी हो सकता है और चुनौती भी बढ़ा सकता है.
- व्यापार और आर्थिक वैश्वीकरण
- सुरक्षा और सहयोगी
- लोकतंत्र और दखल
- प्रवासी और खुली सरहदें
- जलवायु और ऊर्जा